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28 सितंबर 2012

आज दुर्लभ योग - शनि-गणेश के ये मंत्र दूर करेंगे बदकिस्मती का साया



 

हिन्दू पौराणिक मान्यताओं में सूर्यपुत्र शनि भगवान श्रीकृष्ण के परमभक्त बताए गए हैं। वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीगणेश के रूप में अवतार लिया। इससे जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक शनि की क्रूर नजरों से गणेश का सिर कटने के बाद शनि, मां पार्वती द्वारा शापित हुए, तब शनि ने शाप से छुटकारे के लिये भगवान विष्णु द्वारा बताई गणेश भक्ति की।

यह भी वजह है कि शनिवार को गणेश पूजा या स्मरण शनि दोष दूर करने वाली मानी गई है। आज शनिवार के साथ अनंत चतुर्दशी का दुर्लभ योग बना है।  चूंकि शनिदेव दण्डाधिकारी ही नहीं बल्कि भाग्य बनाने वाले देवता भी हैं और श्रीगणेश सफलता देने वाले देवता।

यही नहीं 28 सितंबर को ही शनि-मंगल की अशुभ युति खत्म होने से भी इस संयोग में शनि के साथ गणेश भक्ति किस्मत को बुलंद कर सफलता देने वाली साबित होगी। जानिए ऐसे दुर्लभ योग में किन विशेष शनि व गणेश मंत्रों व उपाय से ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करें -

- शनिवार को शनिदेव को तिल या सरसों का तेल, काले तिल, काला गंध व फूल चढ़ाकर ये 3 मंत्र बोलें -

ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नम:।

ऊँ दीनार्तिहरणाय नम:

ऊँ अविद्यामूलनाशनाय नम:

इसी तरह श्रीगणेश को सिंदूर, चंदन, फूल व मोदक का भोग लगाकर धूप व तिल के तेल का दीप जलाएं व भगवान गणेश के इन मंत्रों का ध्यान करें या रुद्राक्ष माला से जपकर सुख की कामना से करें -

ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं गणेश्वराय ब्रह्मस्वरूपाय चारवे।

सर्वसिद्धिप्रदेशाय विघ्रेशाय नमो नम:।।

या

ऊँ क्लीं ह्रीं विघ्रनाशाय नम:। इस मंत्र का स्मरण करें।

- इस मंत्र स्मरण के बाद शनि व गणेश की आरती करें व दोनों देवताओं कृपा की कामना करें।

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