आपका-अख्तर खान

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29 सितंबर 2012

आप लोगों के लियें आर्थिक सुधार हम कर रहे है और आप लोग अहसान फरामोशी कर हमे बदनाम कर रहे है

आप को कीमतों को बढाने  ना जाने क्यूँ नाराजगी होती है भाई आप हम   की मजबूरी को तो समझते नहीं ..हम लोग टू जी स्पेक्ट्रम से अरबों खरबों रूपये कमा सकते थे लेकिन क्या करें भाई ..यह रक़म तो हमे पूंजीपतियों को देना थी इसलियें हमने घोटाला कर दिया ..भाई  अब कोयले की खानों के आवंटन से हम देश को अरबों रूपये कमा कर दे सकते थे लेकिन क्या करें हमारे सहयोगी साथियों को हम क्या देते इसलियें हमने कानून का उलंग्घन किया मनमानी की और खरबों रूपये की खाने कोडियों के दाम आवंटित कर दीं ...जनाब हमारे पास अरबों रूपये की वसूली उद्योगपतियों से थी लेकिन क्या करें उनके अरबों रूपये का टेक्स हमने माफ़ कर दिया ...हमे खेलों पर खर्च करना थे लेकिन एक रूपये की जगह हमने हजार रूपये खर्च कर देश का खजाना खाली कर दिया ..हमने किरकेट घोटाले कियें ...खेल घोटाले किये सरकार की आमदनी दुसरे संसाधनों से इसलियें नहं बधाई के वोह रक़म कम कीमत में लोगों का देकर हमने अपनी जेबों में  है रखें भी क्यूँ नहीं सरकार बचाने के लियें सांसदों की  खरीद फरोख्त पर अरबों रूपये जो दो  नम्बर में खर्च करना पढ़ते है .............भाई आपसे क्या छुपाये आप तो सब जानते है क्रषि मंत्री शरद पंवार जी तो कभी शक्कर बढ़ते है तो कभी दूसरी चीज़े बढाते है ...खेर हमारी कमाई तो हमने कम कर ली और खर्चे बढ़ा लिए हमे शोचालय बनाने के लियें पेंसठ लाख रुए खर्च करना पढ़ते है ..संसद में सांसदों को और विधानसभा में विधायकों को सब्सिडी देना पढ़ती है हम सरकार में है कोई भी काम जो पञ्च रूपये में होता है कमीशन बाज़ी के चक्कर में पांच सो रूपये में करना पढ़ता है ...हमारी विदेश यात्राएं होती है हवाई सफर होते है पञ्च सितारा होटल के खर्चे होते है अतिथि सत्कार खर्च होते है ..विदेशों से खासकर अमेरिका से हम डरते है इसलियें जो वोह कहता है वोह करना पढ़ता है हमारी खाद पदार्थों की बिक्री से हम उनसे रक़म वसूल नहीं सकते ..हमारी पत्नियाँ बच्चे साले  रिश्तेदार सरकारी गाड़ियों में फर्राटे मारते है ..इंटरनेट ..मोबाइल ..टेलीफोन नल बिजली ऐसी पर भी खर्च करना पढ़ते है फिर हमारी तनख्वाहें भी तो हमे चाहिए वोह बढ़ी हुई तो भाई आप खुद सोचो सरकार के संसाधनों से पूंजीपतियों को लाभान्वित करने के लियें हम उनसे वाजिब कीमत वसूल नहीं सकते सो रूपये की चीज़ एक रूपये में देना पढ़ती है और पूंजीपतियों से टेक्स भी वसूल नहीं सकते सो अरबों रूपये के टेक्स माफ़ कर सकते है अब भाई यह वसूली जनता से ही तो करना पढ़ेगी और आप केवल चुनाव के वक्त ही जनता जनार्दन होते है बाक़ी वक्त तो आपका खून चूस कर हमे अपना कम चलाना पढ़ता है तेल तिलों से निकलता है इसलियें भाई कभ पेट्रोल तो कभी गेस तो कभी डीज़ल तो कभी पासपोर्ट तो कभी न जाने क्या क्या टेक्स लगाकर हमे अपने खर्चे चलाना पढ़ते है ..अब भाई आप लोग हमारी मजबूरी तो समझते नहीं हम आर्थिक सुधर कर रहे है काले धन को स्विस बेंक में जमा कर रहे है देश में भी काले घोटाले कर रहे है  फिर भी हमारे खर्चे पुरे नहीं होते तो तुम हमारी जनता हो हमारी अपनी हो अगर तुम से वसूलते है तो  बुरा करते है आप को तो कुछ लोग बहकाते  है इसलियें आप नाराज़ हो जाते हो भाई यह सब आर्थिक सुधार  मेनेजमेंट है हम अर्थशास्त्री है किसी बेंक के नोकर नहीं है आप लोगों के लियें आर्थिक सुधार  हम कर रहे है और आप  लोग अहसान फरामोशी कर हमे बदनाम कर रहे है गलत बात ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

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