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15 सितंबर 2012

'गहलोत का खेल भी बिगाड़ूंगा, वसुंधरा की दाल भी न गलने दूंगा'


 

>गहलोत और वसुंधरा एक ही सिक्के के हैड और टेल हैं
>गुर्जर समाज को एसबीसी में शामिल करने की मांग में मैं पूरा साथ दूंगा।
जयपुर.निर्दलीय सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि वे अगले चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेल भी बिगाड़ेंगे और प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे की दाल भी नहीं गलने देंगे, क्योंकि ये दोनों एक ही सिक्के के हैड और टेल हैं। गहलोत ने जानबूझकर माथुर आयोग का गठन ऐसे नियमों के तहत किया, जिससे वसुंधरा साफ बच निकलें। गहलोत ने उनके खिलाफ कालीन मामले में भी कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, जब खुद मैंने मुख्यमंत्री से मिलकर मांग की तो भी उन्होंने वसुंधरा के खिलाफ एफआईआर की इजाजत नहीं दी। क्या इसके बाद भी दोनों की मिलीभगत का कोई प्रमाण जरूरी है? मीणा से बेबाक बातचीत :
आप राजनीति में कैसे आए?
>1980 में एक दिन जयपुर मोटरसाइकिल की सर्विस कराने आया था। भाजपा दफ्तर गया तो भैरोंसिंह शेखावत मुझसे बोले : डॉक्टर, चुनाव लड़ लो। उन्होंने मुझे टिकट थमा दिया। मैं मीसा में बंद रह चुका था। प्रांत प्रचारक सोहनसिंह ने मना भी किया, लेकिन शेखावत नहीं माने। मैं हरिसिंह महुआ के मुकाबले 16 वोट से हारा। महुआ में क्लिनिक खोला और मुफ्त इलाज किया। 1985 में मैंने हरिसिंह महुआ को हरा दिया।

आपने भाजपा क्यों छोड़ी?

>छोड़ी नहीं। मुझे निकाला था। वसुंधरा ने पहले कहा : 30 सीटें देंगे, फिर कहा : छह देंगे। दी एक भी नहीं। मेरे इलाके में उषा मीणा और शैलेंद्र जोशी जैसे कांग्रेसी नेताओं को टिकट दे दिया। राजनाथ और आडवाणी से मिला। नतीजा सिफर। जसकौर मीणा को सवाई माधोपुर से, उनके भाई को लालसोट और भतीजे को टोडाभीम से टिकट दे दिया। ये सब वसुंधरा का किया-धरा था।
ऐसा उन्होंने क्यों किया?
>मैं उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ था। मैंने 10 जिलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ चेतना यात्रा निकाली तो वे खफा हो गईं। मैंने कहा : मैं आपका चाटुकार नहीं।
तो आपने कांग्रेस की राह पकड़ ली?
>भंवर जितेंद्र ने मुझे बुलाया। सोनिया, राहुल, पटेल, वासनिक से मिलवाया। उन्होंने कहा : आप हमारा साथ दो। कैबिनेट मंत्री की पेशकश थी, मैंने मना कर दिया, लेकिन अपने समर्थकों को मंत्री बनवा दिया.. मैं वसुंधरा को चेता कर आया था कि देखता हूं, आप राज में कैसे रहेंगी। मुझे वसुंधरा का पाटिया साफ करना था। कर दिया।
क्या अब फिर भाजपा में जाएंगे?
>नहीं। मैं गहलोत-वसुंधरा दोनों का पाटिया साफ करूंगा। वसुंधरा नागनाथ हैं तो गहलोत सांपनाथ हैं। एक ने मीणा-गुर्जर को लड़वाया, दूसरे ने हिंदू-मुसलमान को।
क्या तीसरा मोर्चा बनाएंगे?
>हां। गहलोत और वसुंधरा ने प्रदेश के लोगों को छला है। दोनों ने एक बार ‘तू’ और एक बार ‘मैं’ का प्लान बना रखा है। मैं उनके इस सपने को सफल नहीं होने दूं
क्या प्रदेश में मीणा मुख्यमंत्री हो?
>मुख्यमंत्री धरती पुत्र हो। लेकिन गहलोत और वसुंधरा ने जातियों के गठजोड़ का ऐसा खेल बना दिया कि भाजपा सत्ता में आए तो वसुंधरा और कांग्रेस सत्ता में आए तो गहलोत मुख्यमंत्री बनें। क्या भाजपा नेतृत्व से आपका झगड़ा पहली बार हुआ था?
>1985 में शेखावत से अनबन हुई थी। एक आरटीओ अमरसिंह मीमरोठ ने मुझे बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के बेटे को दो लाख रुपए दिए थे, लेकिन न पोस्टिंग दी, न पैसा लौटाया। यह मामला चल ही रहा था कि सिकंदरा के पास एक्सीडेंट में मीमरोठ की संदिग्ध मौत हो गई। मैंने विधानसभा में मुख्यमंत्री जोशी पर चार्ज लगाया। हंगामा हो गया। मुझे नेता प्रतिपक्ष शेखावत ने कहा : अब यह मामला मत उठाना। मैंने मामला उठाया और कांग्रेस ने कुछ दिन बाद जोशी को हटाकर माथुर को मुख्यमंत्री बना दिया। शेखावत ने उस दिन के बाद से गांठ बांध ली। मेरा टिकट उन्होंने चार बार कटवाया। मैंने उन्हें मनाने की बहुत कोशिशें की, लेकिन वे आखिरी सांस उस बात को नहीं भूले।
आपके भाई को हमेशा बेहतरीन पोस्टिंग मिली है?
>मेरे भाई को तो सबसे रद्दी पोस्ट दे रखी है।
आप नमोनारायण मीणा के खिलाफ थे?
>मैंने उनके समर्थन में एक सभा की थी। मेरी रणनीति थी कि सवाई माधोपुर से भाजपा नहीं जीते।
क्या आप किरोड़ीसिंह बैसला को हराना नहीं चाहते थे?
>कर्नल बैसला स्टेट फॉरवर्ड हैं। राजनीति की चालें उन्हें समझ नहीं आतीं। पहले उन्हें वसुंधरा ने ठगा। अब वे गहलोत के चक्कर में हैं। उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर बड़ी गलती कर दी। वे मन के साफ हैं और अक्सर छले जाते हैं। गुर्जर समाज को एसबीसी में शामिल करने की उनकी मांग में मैं पूरा साथ देने को तैयार हूं।
मुख्यमंत्री से क्या आपकी अच्छी अंडरस्टैंडिंग नहीं ह
वे तो मेरे खिलाफ हैं, क्योंकि सवाई माधोपुर लोकसभा सीट से गहलोत अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते थे। वे मुझे दिल्ली में सीपी जोशी के साथ एक एमपी के फ्लैट पर मिले थे। मैंने खिलाफत की थी।
मैंने भाजपा छोड़ी नहीं। मुझे निकाला था। वसुंधरा ने पहले कहा : 30 सीटें देंगे, फिर कहा : छह देंगे। दी एक भी नही
क्या आप खुद पिछले दरवाजे से सत्तासुख नहीं भोगते रहे हैं?
>मुझे उस गहलोत ने चार बार जेल भेजा, जिन्हें मेरे कारण गद्दी नसीब हुई। गोलमा को हटाया नहीं, उन्होंने इस्तीफा दिया था। हम दोनों नौ दिन धरने पर बैठे। उदयपुर के आदिवासियों की भुखमरी का सवाल उठाने गया तो मुझे जिला बदर कर दिया। सत्ता सुख के नाम पर हमारे पास यह बंगला है।

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