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30 सितंबर 2012

अन्ना के लिए राजनीति बहुत गंदी, केजरीवाल के लिए एकमात्र विकल्प



    
नई दिल्‍ली. अरविंद केजरीवाल से अलग होने के बाद पहली बार रविवार को अन्ना हजारे दिल्ली पहुंचे। उन्‍होंने कहा कि राजनीति में बहुत गंदगी है और राजनीतिक हाथों में देश सुरक्षित नहीं है। हजारे ने यह भी कहा कि देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है। यानी वो नई टीम बना सकते हैं। अन्ना दो दिन दिल्ली में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर, रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और सेना के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। वह यहां अपने समर्थकों से मिलेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे लेकिन केजरीवाल से नहीं मिलेंगे। पुणे से दिल्ली रवाना होने से पहले अन्ना ने कहा कि वो लोकपाल के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

वहीं अरविंद केजरीवाल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब राजनीति ही उनके सामने एकमात्र विकल्प हैं। ताजा बयान में केजरीवाल ने कहा, 'मैंने कहा था कि अगर अन्ना कहेंगे कि पार्टी मत बनाओ तो मैं मान जाऊंगा। अब मेरे सामने यह धर्म संकट है। मुझे लगता था कि अन्ना पूरा मन बना कर ही राजनीतिक विकल्प की बात कर रहे हैं लेकिन फिर उन्होंने अपना मन बदल दिया, मैं धर्मसंकट में फंस गया हूं। एक तरफ मेरा देश है दूसरी तरफ अन्ना हैं।दोनों में से मैं किसको चुनूं। तो मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा है सिवाय राजनीति में कूदने के क्योंकि मेरे सामने सवाल है कि भारत बचेगा या नहीं। जिस तरह संसाधनों की लूट यहां मची है  उसे देखते हुए पांच-सात साल बाद कुछ बचेगा भी या नहीं यही डर बना हुआ है।'

इससे पहले अन्‍ना ने पुणे में कहा, ‘अब मैं अपनी मांगे मनवाने के लिए अनशन नहीं करूंगा, बल्कि सरकार पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन का सहारा लूंगा।’
हजारे ने यहां पिंपरी-चिंचवाड में एक गणोश मंडल कार्यक्रम में कहा कि वे अब भी संसद में साफ छवि वाले लोगों को भेजने का काम जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने इस आंदोलन में शामिल होने की इच्छा जताई है।’ अन्ना रविवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं। यहां वे आंदोलनकारियों से मिलेंगे।
अपने नए ब्लॉग Rannahazarethink’ पर उन्होंने लिखा, ‘लोकपाल के पहले ही दुर्भाग्यवश हमारी टीम दो हिस्सों में बंट गई। एक हिस्सा आंदोलन का सहारा लेना चाहता है तो दूसरा राजनीति में जाना चाहता है। शुरुआत में सरकार ने हमें अलग करने की बहुत कोशिश की। लेकिन इस बार उनके बिना कुछ किए ही हम अलग हो गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अन्य वर्ग की राजनीति में जाने की इच्छा हो गई थी।’
टीम के एक वर्ग पर लगाए अलग करने के आरोप 
हजारे ने अपने साथियों के साथ टकराव पर पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने इसके लिए टीम में मौजूद एक ‘वर्ग’ को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही उन्होंने वोटरों को भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के नाम पर वोट मांगने वालों से भी सचेत रहने को कहा।

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