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03 सितंबर 2012

पत्‍नी को घरेलू कामकाज के लिए देनी होगी सैलेरी !




नई दिल्ली। महिला सशक्तीकरण की दिशा में केंद्र सरकार एक और महत्वपूर्ण पहल करने जा रही है। केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय की यह कोशिश अगर परवान चढ़ी तो बहुत जल्द आपको पत्नी को घरेलू कामकाज के लिए प्रतिमाह वेतन का भुगतान करना पड़ेगा। मंत्रालय में इस प्रस्ताव का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कैबिनेट में भी इसे पेश किया जाएगा। इस प्रस्ताव के कानून बनते ही हर पति को अपने पत्नी को हर महीने एक तय तनख्वाह देनी कानूनन अनिवार्य हो जाएगा।
यह जानकारी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कृष्णा तीरथ ने दी। उन्होंने कहा, 'सरकार एक ऐसा कानून लाने की सोच रही है, जिसके तहत हर पुरुष को अपनी तनख्वाह से एक तय प्रतिशत राशि पत्नी को अदा करना होगा। इसके लिए सरकार एक मानक भी तय करेगी। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इस बाबत अपनी तैयारी शुरू कर दी है।' उनके मुताबिक, प्रारूप बनाने के बाद अगले छह महीने के भीतर इसे कानून बनाने के लिए संसद में पेश करने की योजना भी है।
महिला सशक्तीकरण के लिए जरूरी : कृष्णा तीरथ का कहना है कि देश में लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं शादी के बाद घर-गृहस्थी संभालने में लग जाती हैं। लेकिन इससे उन्हें कोई निश्चित आय नहीं होती। इसकी गंभीरता का अहसास तब होता है जब किसी कारणवश तलाक होने या पति की मृत्यु के बाद महिला के पास अपने गुजर-बसर के लिए कुछ नहीं रह जाता।
कृष्णा तीरथ का कहना है कि यह कदम महिला सशक्तीकरण के लिए उठाया जा रहा है। मकान या प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में महिलाओं के लिए छूट की योजना प्रचलित हो गई है। ठीक इसी तरह इसे भी लागू कराने की कोशिश होगी।
हर महीने पत्नी के नाम से जमा करना होगा पैसा
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए कानून के मसौदे के अनुसार, सभी पुरुषों को अपने मासिक वेतन का 10-20 प्रतिशत हिस्सा पत्नी को बतौर तनख्वाह अदा करने की योजना है। इसके तहत एक बेलदार मजदूर से लेकर टॉप कंपनियों में काम करने वाले एक्जीक्यूटिव तक सभी शामिल होंगे। पुरुषों को अपनी पत्नी के लिए बैंक में खाता खुलवाना होगा और हर महीने तय रुपए जमा कराने होंगे। इस खाते से सिर्फ खाताधारक ही पैसे निकाल सकेगी।
विशेषज्ञों की राय
महिला अधिकारों पर काम करने वाली सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील बृंदा ग्रोवर का कहना है कि सरकार अगर पति की संपत्ति में पत्नी को बराबर की हिस्सेदारी दिलाए तो कहीं ज्यादा बेहतर हो। तनख्वाह दिलाने का प्रस्ताव बेहतर सुनाई दे रहा है, लेकिन इससे पति के मालिक और पत्नी को नौकरानी करार देने जैसा भी प्रतीत हो रहा है। महिला सशक्तीकरण पर काम करने वाली लेखिका सादिया देहलवी का कहना है कि अगर सरकार इस प्रस्ताव में 'तनख्वाह' के बजाए किसी अन्य शब्द का इस्तेमाल करे तो बेहतर है। इसके अलावा सरकार पति को पत्नी के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट या पॉलिसी जैसे तरीकों से भी हिस्सेदारी दे तो महिलाओं को कहीं ज्यादा सामाजिक सुरक्षा मिल पाएगा।

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