आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

27 सितंबर 2012

29 से श्राद्ध पक्ष शुरू: क्या करें-क्या न करें?



 

धार्मिक नजरिए से हर धार्मिक परंपरा, उत्सव, पर्व और व्रत-उपवास के शुभ फल तभी मिलते हैं, जब उनसे जुड़े शास्त्रों में बताए गए विधान और नियम का सही पालन किया जाए। इसी कड़ी में श्राद्ध पक्ष में पितरों के श्राद्ध के लिए कुछ विशेष वस्तुओं और सामग्री का उपयोग जरूरी तो कुछ निषेध बताई गई हैं।

इस बार 29 सितंबर से शुरू श्राद्धपक्ष 15 अक्टूबर तक चलेगा। जानिए इस दौरान खान-पान व पूजा उपायों में क्या करें और क्या न करें -

- श्राद्ध कर्म व पूजा में गंगाजल, दूध, शहद  कुश और तिल का खास महत्व है। इनका यथोचित उपयोग करना न चूकें।

- तुलसी से पितृगण प्रसन्न होते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृगण गरुड़ पर सवार होकर विष्णुलोक को चले जाते हैं। तुलसी से पिंड की पूजा करने से पितर लोग प्रलयकाल तक संतुष्ट रहते हैं।

- सोने, चांदी, कांसे व तांबे के पात्र उत्तम हैं। इनके न होने पर पत्तल उपयोग की जा सकती है।

- केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन न कराएं।

- रेशमी, कंबल, ऊन, लकड़ी, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन का उपयोग करें।

- आसन में लोहा किसी भी रूप में उपयोग नहीं होना चाहिए।

- चना, मसूर, बड़ा उड़द, सत्तू, मूली, काला जीरा, कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक,

लौकी, बड़ी सरसों, काली सरसों की पत्ती और बासी, अपवित्र फल या अन्न का श्राद्ध भोजन में उपयोग न करें।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...