आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 अगस्त 2012

हाडोती का लाडला राष्ट्रीय कवि धन्नालाल सुमन नहीं रहे ..उनके निधन से हाडोती भाषा को अपुर्नीय क्षति

दोस्तों राजस्थानी भाषा और खासकर हाडोती भाषा के साहित्यकारों के लियें आज काला दिन है उनके लियें बुरी खबर ..अपनी जुबान और सुनहरे अल्फाजों से कोटा में हीं नहीं । राजस्थान में ही नहीं देश भर में हाडोती भाषा और यहाँ की संस्क्रती का प्रचार प्रसार करने वाले प्रसद्ध हाडोती के लाडले कवि धन्नालाल सुमन का आज आकस्मिक निधन हो गया .....आज अचानक धन्नालाल सुमन के निधन से कोटा में ही नहीं हाडोती में ही नहीं राजस्थान और देश भर में शोक की लहर दोड़ गयी ..भाई दिनेश द्विवेदी जी उनके अच्छे मित्र थे उन्होंने जब मुझे यह खबर दी तो में सन रह गया ....बूंदी में जन्मे कोटा में पाले बढ़े धन्ना लाल सुमन हिंदी में एम ऐ थे लेकिन उनका निजी लगाव राजस्थानी और हाडोती भाषा को विकसित करना रस्ज्थानी भाषा को राज्य भाषा का दर्जा दिलाना था ...युवा कल से ही भाई धन्ना लाल सुमन कभी हास्य रस तो कभी वीर रस तो कभी गंभीर काव्य के लियें विख्यात हो चुके थे हाडोती का या राजस्थानी का कोई भी कार्यक्रम हो विशेष कोमेंटटेटर के रूप में सभी मंचों पर उनका कब्जा था ..हाडोती साहित्य और इतिहास की दुर्लभ पांडुलिपियों को सुरक्षित रखना उन पर शोध करवाना उन्हें अच्छा लगता था और इसीलियें उनका साहित्यिक मन ..उन्हें डोक्टर शांति भारद्वाज के नजदीक ले आया और उनकी जिंदादिली ..हाडोती के प्रति समर्पण उनकी विद्धता को देखकर डोक्टर शंतिभार्द्वाज ने उन्हें पहले हाडोती शोध प्रतिष्ठान में सामान्य ज़िम्मेदारी दी और फिर तो धन्नालाल जी एक फूल एक सुमन बन गये ..जी हाँ दोस्तों डोक्टर शांति भारद्वाज की सेवानिव्रती के बाद धन्नालाल जी हाडोती शोध प्रतिष्ठान संस्थान के निदेशक बने और उन्होंने कई कवि सम्मेलन आयोजित करवाए उनकी दर्जनों पुस्तके प्रकाशित हुए सेकड़ों कविताएँ नियमित गई जाती है ..अकी गीत ऐसे है जो हाडोती में गुनगुनाये जाते है ..धन्नालाल सुमन चाहे हाडोती उत्सव हो चाहे कोटा का मेला दशहरा हो चाहे झालावाड उत्सव हो चाहे बारां का स्थापना दिवस हो या फिर बूंदी की कजली तीज या अफिर केशो राय पाटन में माँ चर्मन्य्वती के किनारे चम्बल उत्सव हो सभी कार्यक्रमों के उद्घोषक भाई धन्नालाल जी रहते थे ..इनका अंदाज़े बया कुछ ऐसा था के हज़ारों की भीड़ हो या लाखो लोग हो याफिर सेकड़ों हो सभी मन्त्र मुग्ध होकर इनकी चुटकियाँ सुना करते थे और कार्यक्रम का मज़ा लेते थे ....वर्ष १९९२ में धन्नालाल सुमन तिवारी कोंग्रेस से कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके है ..उन्होंने इस चुनाव में खुद की करारी हर पर भी एक बहतरीन रचना लिखी थी जो आखरी बार उन्होंने प्रेस क्लब के होली गुदगुदी कार्यक्रम में सुने थी ...हाडोती के कोई भी राजपत्र द्स्तावेजत का हिंदी अनुवाद धन्नालाल सुमन ही करते थे और इनके इस कार्य से कोटा बूंदी बरन झालावाड के न्यायालयों में विचाराधीन मुकदमों में काफी मदद मिलती थी ..किशोरपुरा मन्दिर के एक दस्तावेज का हाडोती से हिंदी अनुवाद कर जब इन्होने नगर निगम कोटा के खिलाफ एक मुकदमे में बयान दिए तो महापोर जी का इन्हें कोपभाजन करना पढ़ा और फिर तब से ही धन्नालाल जी को नगरनिगम कोटा ने बदले की भावना से कवि सम्मेलनों में बुलाना बंद कर दिया था ...हाल ही में हाडोती शोध प्रतिष्ठान का कार्यालय अचानक जब अदालत के आदेश से खाली हुआ और ऐतिहासिक पांडुलिपियाँ खुर्द बुर्द की जा रही थी तो इनकी आँखों में आंसू थे और तभी से यह टूट गए थे बस हाडोती की पांडुलिपियाँ फिर से सुरक्षित हो हाडोती भाषा जीवित रहे हाडोती शोध प्रतिष्ठान फिर से स्थापित हो उसका भवन हो उसके कर्मचारी हो इसी कोशिशों में वोह जवान से बूढ़े हो गए और आज इसी सदमे ने उनकी जाना ले ली ...हाडोती में जो पांडुलिपिया खुर्द बुर्द हो रही है अगर उन्हें सुरक्षित कर हाडोती शोध प्रतिष्ठान को फिर से शुरू कर हाडोती भाषा राजस्थान भाषा का मान सम्मान बरकरार रखा जाए तो शायद यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी ......... कहते है कवि ..साहित्यकार..समाजसेवक मरता नहीं संघर्ष करता है और अपने संघर्ष में रोज़ मरता और जीता है कवि चन्नालाल जी भी इसी संघर्ष में रोज़ जीते थे और मरते थे और इसी लियें उनके जाने के बाद भी ऐसा लगता है के उनके मीठे बोल काई हाल छ कटी जार्यो छ आज भी हमारे दिलो दिमाग में जीवित है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...