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25 अगस्त 2012

मंत्रीजी ने कुछ इस अंदाज में दिया इंटरव्यू, पढ़िए उन्होंने क्या-क्या कहा!



जयपुर.उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. दयाराम परमार ने कहा कि आज की राजनीति में मंत्री बनने के लिए काबिलियत जैसी कोई चीज नहीं है। जिस दिन गोलमा देवी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई तो उन्होंने यह सोचना छोड़ दिया कि काबिलियत के बावजूद उन्हें सरकार से क्यों बाहर रखा जा रहा है। उनसे बेबाक बातचीत :

आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?

>हम 3 भाई और 4 बहनें हैं। 6 बेटे और 2 बेटियां हैं। मेरी एक पत्नी कमला सीनियर सैकंडरी स्कूल खैरवाड़ा में हिस्ट्री की शिक्षक हैं। दूसरी, अमृत खेती संभालती हैं।

आप राजनीति में कैसे आए?

क्च मैं 2003 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर आज तक कभी चुनाव नहीं हारा। 10वीं में था तो छाणी स्कूल में प्रधानमंत्री चुना गया था। 20 साल की उम्र में 2 फरवरी, 1965 को निर्विरोध सरपंच बन गया था। सरपंच रहते ही मैंने एमए कर लिया था और लेक्चरर हो गया था। 2003 में चुनाव हारा तो मैंने 65 साल की उम्र में जैन दर्शन पर पीएचडी कर ली।

क्या सरपंच बने तब वोट देने की उम्र 21 साल नहीं थी?

>वोटरलिस्ट में मेरी उम्र 25 साल थी।

राजनीति में आपका गॉडफादर कौन है?

>सुखाड़िया, शक्तावत और देवपुरा।

पहला चुनाव आपने बागी होकर लड़ा था?

>हां! मैं पहले सरपंच था। फिर निर्दलीय प्रधान। विधानसभा चुनाव मुझे सरपंचों ने लड़वाया। मैं जीत गया।

क्या मेवाड़ की आजकल उपेक्षा बढ़ गई है?

>मेवाड़ वालों ने खूब राज किया है। अब भी मंत्री तो बन ही रहे हैं। मेवाड़-वागड़ की सरकार बनाने में अहम भूमिका रहती है। महत्व तो मिलना ही चाहिए।

क्या अब मेवाड़ से मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए?

>विधायकों की राय से पार्टी मुख्यमंत्री तय करती है। मेवाड़ से ही मुख्यमंत्री बनें, ऐसा क्यों सोचें?

आप वरिष्ठ थे, फिर भी ढाई साल क्यों इंतजार करना पड़ा?

>मुझसे राहुलजी ने भी पूछा था कि आपको कैबिनेट मंत्री के बजाय राज्यमंत्री क्यों बनाया? मैंने उनसे कहा कि जो बनाते हैं, मैं वह बनता हूं। मैंने टिकट भी नहीं मांगी थी।

किसी अनपढ़ को क्यों नहीं मंत्री बनाना चाहिए?

>यह प्रजातंत्र है। इसमें क्वालिफिकेशन तय नहीं है। पदोन्नति में आरक्षण पर आपका क्या मानना है?

>राज्य सरकार, केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ही अभी तक तय नहीं कर पा रहे तो मैं क्या कहूं!

आपके इलाके में सवर्ण आंदोलित हैं?

>हां, इसलिए कि वे सिर्फ उपजिला प्रमुख, उपप्रधान, उप सरपंच ही बन सकते हैं। बाकी पद एसटी के लिए रिजर्व हैं। इसका क्या विकल्प हो, यह जटिल प्रश्न है।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान के कामकाज का मूल्यांकन?

>वे ही खुद कर सकते हैं। जैसा कि सबका करते हैं।

आपकी सरकारी कार से शराब पकड़ी गई थी?

>वह शरारत थी किसी की। दरअसल मैं बीमार था 20 दिन से। मेरा पीए और ड्राइवर मेरे साथ ही थे। उनको अपने घर आना था। वे रास्ते में चाय पीने रुके। मैंने पूछा तो दोनों ने बताया कि किसी ने गाड़ी में शराब रख दी थी।

कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्होंने ही खुद रख ली थी और आपसे झूठ बोल दिया?

>यह भी हो सकता है। मैंने पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। इसलिए क्या करता।

तो आपने उन्हें हटा दिया?

>नहीं। मेरा पीए और मेरा ड्राइवर वही हैं। जो हो गया, सो हो गया। अब हटा देने से क्या होगा! अब उनके हटा देने से उस घटना में तो सुधार होने से रहा!

आपने कभी राजस्थान, गुजरात और एमपी के इलाकों को मिलाकर एक एसटी स्टेट की वकालत की थी?

>यह कॉन्सेप्ट मैंने ही चलाया था। आदिवासी राज्य का मुद्दा महत्वपूर्ण है। ट्रायबल स्टेट बने तो विकास हो। अभी फोकस जयपुर, अजमेर और उदयपुर जैसे इलाकों पर है।

जब आपसे जूनियर को कैबिनेट मंत्री बनाया तो आपकी काबिलियत की उपेक्षा हो रही है?

>जब गोलमा देवी मंत्री बन गईं तो सोच लिया था कि काबिलियत की बात तो राजनीति में सोचनी ही नहीं चाहिए। शिक्षा ही काबिलियत होती तो गोलमा कैसे मंत्री बनतीं?

दयाराम परमार की खरी-खरी

>मेवाड़ से ही मुख्यमंत्री बने, यह हम क्यों सोचें?

>मैं 20 साल में सरपंच बना था, क्योंकि वोटर लिस्ट में उम्र 25 साल दर्ज थी

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