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12 अगस्त 2012

इस कलश की रखवाली के लिए एक सिपाही को जो

देवस्थान विभाग कहता है- निजी गार्ड 200 रु. रोजाना में मिल जाते हैं, स्वर्ण कलश की सुरक्षा पर रोजाना 12 गुना खर्च करने पड़ रहे हैं।

पुलिस कहती है - गृह विभाग के आदेश हैं, पुलिस इसमें क्या कर सकती है..

जयपुर.जय निवास उद्यान में गोविंददेवजी मंदिर से सटे गंगाजी मंदिर में सोने की 11 किलो वजनी गंगाधरी (कलश) की सुरक्षा एक बार फिर खतरे में है। वैसे तो यहां पुलिस का एक हवलदार और तीन जवानों की डच्यूटी है, लेकिन वे देवस्थान की बजाय पुलिस विभाग की नौकरी में ज्यादा व्यस्त रहते हैं।

पुलिस विभाग गंगाधरी की सुरक्षा की एवज में हवलदार के लिए रोजाना 2419 रुपए और सिपाही के लिए रोजाना 2409 रुपए देवस्थान विभाग से ले रहा है। पिछले वर्ष राज्य सरकार ने सुरक्षा खर्च के चलते स्वर्ण कलश को ट्रेजरी में रखने का निर्णय किया था।

बाद में जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए कम खर्च में सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय किया। इसके बावजूद स्वर्ण कलश की सुरक्षा के बदले देवस्थान विभाग को हर साल 36 लाख रुपए पुलिस को देने पड़ रहे हैं। यह राशि हर तीन माह में चुकानी होती है। इस बार 1 अप्रैल से 30 जून तक 8 लाख 77 हजार 786 रुपए चुकाए जाने हैं।
फिर भी कलश सुरक्षित नहीं।

क्योंकि हर वक्त मंदिर में पर्याप्त प्रहरी नहीं रहते हैं। गंगाजी मंदिर में पिछले एक साल में 20 सिपाहियों के तबादले हो चुके हैं। अकेले जुलाई में ही 4 सिपाही बदल गए। मंदिर में तैनात सिपाहियों को पुलिस द्वारा कई बार दूसरी डयूटी पर लगा दिया जाता है। तब मंदिर में केवल एक या दो प्रहरी रह जाते हैं।

एक तथ्य यह भी..

एक साल में बदल गए 20 सिपाही, अकेले जुलाई में चार सिपाही बदले

36 लाख रु. हर साल चुकाने के बाद भी कलश की सुरक्षा गंगाजी के भरोसे ही है

गृह विभाग का आदेश खर्चीला..

25 साल पहले गृह विभाग की ओर से दिए गए आदेश का खमियाजा देवस्थान विभाग को भुगतना पड़ रहा है। इसमें कहा गया है- देवस्थान विभाग के ऐसे मंदिर जहां जेवरात, सोना -चांदी आदि प्रचुर मात्रा में हैं, वहां की देखरेख पुलिस विभाग की ओर से होगी। आदेशानुसार पुलिस के सिपाही हैं, जो निजी गार्डो से कहीं ज्यादा महंगे हैं। निजी गार्ड रखें तो प्रति गार्ड 6000 रुपए प्रतिमाह ही खर्च होंगे।


आदेश के हिसाब से लेते हैं पैसा

'राज्य सरकार के आदेश हैं कि सरकारी विभाग में जाप्ता लेने के बदले संबंधित विभाग भुगतान करेगा। सरकार ने डीसीपी से सिपाही तक की रेट फिक्स कर रखी है। सरकारी बैंकों और कुछ मंदिर में नियमित जाप्ता भेजते हैं। जो राशि मिलती है, राजकोष में जमा होती है।'

-संग्राम सिंह, एडीशनल डीसीपी (पुलिस लाइन)

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