आपका-अख्तर खान

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04 अगस्त 2012

इस्लाम इस्लाम बात है हमारा देश जहां की पोराणिक कथाये ..धार्मिक मान्यताएं..,,,,, मित्रता की मिसाल रही है वही आज हम अंग्रेजी संस्क्रती से प्रभावित ...... एक विशिष्ठ दिन पर ही मित्रता की बात करते है ..मित्रता यानी दोस्ती यानी खुद की जिंदगी...... खुद की आत्मा ...संवारने और शुद्धिकरण का फार्मूला है ...आप सभी जानते है के क्रष्ण ने सुदामा से जो दोस्ती की थी उसकी मिसाल कोई अँगरेज़ कोई देश नहीं तोड़ सका है ...करण और दुर्योधन की मित्रता सभी को पता है ....islaam की दुनिया में भी दोस्ती के बेशुमार किस्से है लेकिन क्रष्ण सुदामा का जो सीन है वोह आज देखने को कहाँ मिलता है मिले भी क्यूँ क्योंकि भाग दोड़ ..विश्वासघात की इस दुनिया में दोस्ती एक अज़ाब बन गयी है ..एक तो मित्रता मामले में ओरतों की दखलंदाजी दुसरे इंसानी मोका परस्ती की फितरत हमे और हमारे रिश्तों को ना जाने कहां ले जा रही है ....जी हाँ दोस्तों मित्रता करो तो क्रष्ण सुदामा की तरह करो ..मित्रता करो दोस्ती करो अपने देश से ...अपने देश के तिरंगे से ..अपने देश के संविधान से ..अपने देश के तिरंगे से ...जी हाँ मित्रता करो अपने देश के सद्भाव ..भाईचारे से .विकास की योजनाओं से ..भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही लड़ाई से ..जी हाँ मित्रता का सच्चा संदेश यही मुकम्मल

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