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04 अगस्त 2012

रामायण व महाभारत काल में भी मिले हैं मित्रता के प्रमाण


मित्रता दिवस की शुरुआत लगभग एक शताब्दी विश्व में विभिन्न देशों में हो चुकी थी। लेकिन अमेरिका में इसकी शुरुआत 1935 ई. में हुई। अमेरिका, इंग्लैंड, यमन आदि देशों में अगस्त माह के प्रथम रविवार को लोगों ने मित्रता दिवस करार दिया। रामायण, महाभारत ओर बाइबल आदि में इसके अनुकरणीय उदाहरण मिले हैं। रामायण में भगवान राम ने पशु-पछियों तक से मित्रता निभाई। बालि को हराकर सुग्रीव को किसकिंधा का राजा और रावण को हराकर विभीषण को लंका का राज्य सौंपा था। वहीं महाभारत काल में दुर्योधन ने कर्ण को अंग प्रदेश का राजा बना दिया था। कर्ण ने भी दुर्योधन के पक्ष में लड़ते हुए अपनी जान गवां दी थी। लेकिन रामायण और महाभारत काल में मित्रता की जो परिभाषा थी तथा किसी व्यक्ति को अपने मित्रों से अपेक्षाएं थी वह लगभग निस्वार्थ थी।

बाइबल में एक जगह में लिखा है किसी से उम्मीद रखते हो तो उम्मीद करो, सफलता मिलेगी। किसी के दरवाजे पर दस्तक दो तो दरवाजा खुलेगा। उस समय और आज की मित्रता में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। आज विशेष रुप से युवाओं के बीच जो मित्रता होती है उसके मूल्य में मौज-मस्ती करना, खाना-पीना, घूमना, नाचना-गाना और पीना। उसके बाद किसी दूसरी दुनियां में खो जाना। मित्रता दिवस पर आज ऐसा ही कुछ मित्र आपस में करते हैँं। वे क्लबों, होटलों और पार्को आदि के साथ सूदूर पिकनिक स्पाटों में चले जाते हैं। फिर दिल खोलकर मौज मस्ती करते है। मौज मस्ती की मतलब दैहिक सुख तक हो जाता है। विदेशों मे तो लोग विवाह नहीं करते हैं 20-25 वर्षो तक मित्र ही बने रह जाते हैं। माता-पिता तो बन जाते हैं पर पति-पत्‍‌नी नहीं बन पातें हैं। आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में मित्रता शब्द कलंकित हो चुका है। जगह-जगह पर फ्रेंडशिप क्लब खुल रहे हैं। ऐसे क्लब ही मित्रता जैसे पवित्र शब्द को कलंकित कर रहे हैं। दोस्त बनकर आज दोस्तों के साथ ही घात-प्रतिघात करने लगे हैं। इसलिए एक शायर का मानना है। दोस्त-दोस्त न रहा, प्यार-प्यार न रहा। फिर भी कुछ लोग आज अपने खून से अधिक अपने दोस्तों को महत्व दे रहे हैं। दोस्तों के लिए मरने के लिए तैयार रहते हैं।

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