आपका-अख्तर खान

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20 अगस्त 2012

ईद की नमाज़ पढने जाते वक्त ईदगाह के रस्ते की दोनों तरफ जो खोफ्नक नज़र होता है खुदा उन सभी को मुआफ करे उनकी तकलीफें दूर करें और हमारे गुनाह माफ़ करे

खुदा का शुक्र है रमजान माह में रोज़े ...जकात के बाद ..फितरे की अदायगी के साथ इदुल्फित्र का वक्त आया है ......इस दिन एक तरफ तो फर्ज़ अदायगी की खुसी ..ईद की ख़ुशी और दूसरी तरफ ईदगाह पर जाते वक्त जिन लोगों को देखा और जिन्हें हर बार देखते है ..यकीन मानिये रोंगटे खड़े हो जाते है और खुदा से उनके हक में दुआ करने को मजबूर हो जाते है साथ ही हाथ खुद बाखुद अपनी गलतियों के लियें क्षमा याचना यानी तोबा के लियें उठ जाते है और मन मोम की तरह से पिघल कर साफ़ सुथरा हो जाता है .....दोस्तों अपने भी देखा होगा लेकिन में उस सीन को मेरे नजरिये से आपको दिखा रहा हूँ .....आप घर से निकले ईदगाह से थोड़ी दूर से ही रास्ते के दोनों किनारों पर फितरा ..जकात और दान लेने वालों की कतारे लगी रहती है .एक नहीं दो नहीं चार नहीं यह गिनती लगभग एक किलोमीटर से भी ज्यादा की होती है दोनों तरफ आदमी ..ओरतें बच्चे चादर बिछा कर अल्लाह के नाम पर देदों का नारा दे रहे है वोहान कोमी एकता है न हिन्दू है न मुसलमान है हिन्दू फकीर भी है तो मुस्लिम फकीर भी है हिन्दू बच्चा भी है मुस्लिम बच्चा भी है कुछ लोग तो पंडित के लिबास में भी देखे जाते है ...अफ़सोस जब होता है के वहा ऐसे भी लोग होंते है जिनके हाथ नहीं है ..जिनके दोनों पैर नहीं है .जो घिसट रहे है उनकी हालत तो देखी भी नहीं जाती खुद बा खुद उनके लियें दुआ और खुद की गलतियों के लियें तोबा निकल जाती है ........एक बच्ची जिसके पुरे बदन पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है वोह ठेले पर लेती है अल्लाह ईद की नमाज़ के पहले यह सब सच उन सभी को दिखता है जो रोज़े ..जकात और फितरे के फर्ज़ के बाद नमाज़ का फर्ज़ अदा करने जा रहे है खुदा ने इन सभी लोगों से हमे कितना बहतर बनाया है हम देखते है किसी के हाथ नहीं ..किसी के दोनों पाँव नहीं ..कोई अँधा है ..कोई कोड की बीमारी से पीड़ित है तो कोई दोनों हाथ दोनों पांव नहीं होने से सड़क पर रेंग रहा है दोस्तों यह खुदा की कुदरत है खुदा इस ईद की नमाज़ के पहले ऐसे लोगों को सामने खड़ा कर हमे कुछ पैगाम देना चाहता है हमे बताना चाहता है के तुम और सभी लोगों से अफजल हो तंदरुस्त हो फिर भी गुनाहों से बाज़ नहीं आ रहे हो ..खुदा कहना चाहता है के तुम्हारी हालत भी ऐसी हो सकती थी लेकिन तुम्हे ऐसा नहीं बनाया इसलियें खुदा का शुक्र अदा करो इन्सान हो इन्सान बन कर रहो खुदा के बताये हुए रस्ते पर चलो यूँ बेईमानी ..शराबखोरी ..हरामखोरी मत करो ..खुदा को भी धोखा देते हो और सियासत के नाम पर कोम को बेचते हो फिर खुद को दूध का धुला कहते हो ..यकीन मानिये इस दर्दनाक ..इबरत नाक नजारे को सभी लोग देखते है लेकिन नमाज़ अदा करते है और भूल जाते है फिर वही अपनी गलतिय इंसान दोहराने लगता है तो दोस्तों एय्ह मंज़र जो हम देखते है खुदा करे हमे देखना न पढ़े खुदा करें हमारे देश का कोई आदमी ..कोई ओरत ..कोई बच्चा मोहताज न हो तकलीफ में ना हो ऐसी दुआएं खुदा से हमे करना होंगी और इसके लिए सियासत और धर्मों...समाजों ..भाषाओँ की नफरत की बंदर बाँट से अलग हट कर हम एक है हम नेक है हम इंसान है मानवीयता हमारा धर्म है राष्ट्रीयता हमारा कर्म है के फार्मूले पर हमे हमारे देश को आगे बढ़ाना होगा तब कहीं इस खोफ्नक मंज़र से हमे नुजात मिल सकेगी ..खुदा करे ऐसे लोग जो तकलीफ में है उनकी तकलीफ खुदा जल्दी दूर करे और देश में भाईचारा ..सद्भावना .कायम कर एकता की मिसाल बने ..देश खुशहाल रहे तरक्की करे ....यही बस इस खोफ्नक मंजर को देखने के बाद खुदा से अपने किये गये पापों के लियें तोबा के साथ दिली दुआ है .....खुदा यह दुआ कुबूल करे लेकिन इस दुआ में आप सब भी मेरे साथ शामिल होंगे तो मुझ पर करम होगा मुझ पर महरबानी होगी ................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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