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20 अगस्त 2012

जिस पर पैर पड़ते ही फिसल कर गिर पड़ते हैं लोग, वह तो बड़े काम की चीज है!



केले के छिलके में पाए जाने वाले कुछ घटक प्रदूषित पानी को साफ करने में सक्षम हैं। यह न सिर्फ सबसे सस्ता वाटर प्यूरीफायर है, बल्कि इसे कई बार इस्तेमाल में भी लाया जा सकता है।

चांदी के बर्तन व इससे बने अन्य सजावटी सामान समेत चमड़े के जूतों को चमकाने के काम आने वाला केले का छिलका अब वाटर प्यूरीफायर का काम करेगा। वह खनन प्रक्रिया, औद्योगिक उत्पादन से प्रदूषित पानी को साफ करेगा। ब्राजील में खोजी गई इस तकनीक को कहीं भी प्रयोग में ला सकते हैं।

कैसे करता है पानी साफ

केले के छिलके में नाइट्रोजन, सल्फर और काबरेक्स्लिक एसिड जैसे ऑर्गेनिक कंपाउंड पाए जाते हैं, जिनमें ऋणात्मक आवेशित (निगेटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये पानी में सामान्यत: पाई जाने वाली लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम करते हैं। इसकी वजह यह है कि लेड, कॉपर या इन जैसी अन्य धातुओं में धनात्मक आवेशित (पॉजिटिव चाज्र्ड) इलेक्ट्रॉन होते हैं। इस तरह छिलका प्रदूषित पानी में से जहरीली धातुओं को अलग करने का काम करता है।

आगे क्या शोधार्थियों का इरादा अब इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लाने का है। साथ ही केले के छिलके के साथ कुछ और मटेरियल मिलाने का है। इसकी वजह यह है कि भले ही केले के छिलके से लेड और कॉपर जैसी धातुओं को अलग करने में सफलता मिल गई हो, लेकिन बावजूद इसके कुछ अन्य जहरीले तत्व पानी में रह गए।

इसे देखते हुए अब ऐसे मटेरियल भी इस्तेमाल में लाए जाएंगे, जो इन्हें भी साफ कर सके। यही वजह है कि गुस्ताव ने लोगों से केले के छिलके से घर पर पानी को शुद्ध न करने की गुजारिश की है। खासकर जब तक पानी को पूरी तरह से शुद्ध बनाने वाले मटेरियल की पहचान न कर ली जाए।

सिंथेटिक मटेरियल से बेहतर

केले के छिलके के इस गुण को खोजने वाले ब्राजील के शोधार्थियों गुस्ताव कास्त्रो और उनकी टीम ने यह भी पाया है कि यह पानी साफ करने के काम आने वाले अन्य सिंथेटिक मटेरियल से भी बेहतर है। केले के छिलके से लगभग 11 बार प्रदूषित पानी को साफ किया जा सकता है।

प्रभावी है तकनीक

खदानों, औद्योगिक उत्पादन और अन्य कारणों से प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल में लाई जा रही विद्यमान तकनीक न सिर्फ महंगी है, बल्कि उन्हें पूरी तरह से कारगर भी नहीं करार दिया जाता है। वजह यही है कि पानी को शुद्ध करने में इस्तेमाल में लाए जाने वाले ऐसे सिंथेटिक मटेरियल खुद में कई तरह के जहरीले तत्व समेटे होते हैं।

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