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17 अगस्त 2012

6.25 करोड़ से संवरेगा हाड़ौती इको टूरिज्म


कोटा. मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क, जवाहरसागर, रामगढ़, सोरसन को शामिल करते हुए हाड़ौती में इको टूरिज्म का सर्किट तैयार किया जाएगा। इसके लिए वन्यजीव विभाग ने 6.25 करोड़ रुपए की लागत से एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की भी हरी झंडी मिल गई है, बस सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन का इंतजार किया जा रहा है। मुकुंदरा नेशनल पार्क में इतनी पुरा, वन संपदा तथा वन्यजीव हैं कि किसी भी मायने में ये सरिस्का से कम नहीं है, लेकिन प्रचार-प्रचार व देखरेख के अभाव में इसे पहचान नहीं मिल पा रही है।

मुकुंदरा हिल्स को नेशनल पार्क घोषित कर दिया गया, लेकिन अभी भी इसे राष्ट्रीय स्तर की ख्याति नहीं मिल पा रही है। यहां पर महाराव उम्मेदसिंह द्वारा बनाए पहाड़ पर 1600 ईस्वी में बनाई गई कीले बंदी की दीवारें, छतरियां, शिकारगाह और रेस्टहाउस आज भी मौजूद है।

वहीं, ऐतिहासिक अबली मीणी का महल इतिहास का साक्षी है। यह स्थान महाभारतकाल का भी साक्षी रहा है। कहा जाता है कि यहां पर अज्ञातवास के दौरान भीम जब यहां आए तो उन्हें हिडिंबा मिली थी। जिससे विवाह का प्रस्ताव रखा। हिडिंबा ने शर्त रखी थी कि विवाह के लिए एक ही रात में मंडप तैयार किया जाए। भीम ने जो मंडप बनाया था वो आज भी यहां मौजूद है। इसके अलावा यहां टाइगर को छोड़कर शेष सभी प्रकार के वन्यजीव मौजूद हैं। पहले यहां काफी टाइगर हुआ करते थे।

इन पुरासंपदा को संवारने और इको टूरिज्म का सर्किट बनाने के लिए वन्यजीव विभाग ने एक प्रोजेक्ट तैयार किया है। जिस पर करीब 6.25 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें जवाहरसागर, दरा, रामगढ़ व सोरसन को शामिल करते हुए हाड़ौती सर्किट तैयार किया जाएगा। जीर्णशीर्ण हो चुके रेस्ट हाउस की मरम्मत कर उसे ठहरने योग्य बनाया जाएगा। सुप्रीमकोर्ट इस संबंध में गाइड लाइन तैयार कर रही है। यदि प्रोजेक्ट में शामिल बातें गाइड लाइन से मैच नहीं करेगी तो उसमें बदलाव किया जाएगा।

‘इस संबंध में कार्रवाई चल रही है। इको टूरिज्म के प्रोजेक्ट पर सरकार के स्तर पर चर्चा हो चुकी है। राज्य सरकार इस संबंध में कमेटी गठित कर रही है। टाइगर रिजर्व में आते ही इसके लिए सरकार से मदद मिल जाएगी। ’

-अनुराग भारद्वाज, सीसीएफ

इधर, केनवास पर उतारा सौंदर्य

वन महोत्सव के अवसर शहर के प्रकृतिप्रेमियों व चित्रकारों के एक ग्रुप ने मुकुंदरा नेशनल पार्क में पहुंचकर वहां के नैसर्गिक सौंदर्य, ऐतिहासिक व पौराणिक स्थलों को कूची और पेंसिल से कैनवास पर उतारा। साथ गए इतिहासकार ने वहां के ऐतिहासिक महत्व को बताया। मुकुंदरा नेशनल पार्क के प्रचार-प्रसार के लिए पर्यावरणप्रेमियों का एक दल चित्रकला के छात्र-छात्राओं के साथ वन महोत्सव मनाने के लिए वहां पहुंचा।

रेस्टहाउस परिसर में इतिहासकार फिरोज अहमद व पर्यावरणप्रेमी आरएस तोमर ने सभी को मुकुंदरा नेशनल पार्क, अबली मीणी के महल, भीम चंवरी, शिकारगाह व 100 साल से अधिक पुराने रेलवे ब्रिज के इतिहास के बारे में बताया। उसके बाद ड्राइंग टीचर मुक्ति पाराशर के निर्देशन में 20 स्टूडेंट्स ने रेलवे ब्रिज, भीम चंवरी, अबली मीणी का महल तथा हरियाली से लबरेज पहाड़ियों को कैनवास पर उतारा। आयोजक डॉ. सुधीर गुप्ता के अनुसार इस आयोजन का उद्देश्य है कि नेशनल पार्क की इस सुंदरता को चित्रकारी के माध्यम से लोगों के सामने लाया जाए ताकि इसके बारे में जनता की उत्सुकता और दिलचस्पी बढ़े।

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