बूंदी. देश-दुनिया के पर्यटकों को लुभाने वाली बूंदी की ऐतिहासिक संरक्षित धरोहर ‘चौरासी खंभों की छतरी’ पर अंकित 327 साल पुरानी पेंटिंग्स पर राजस्थान अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट प्रोग्राम (आरयूआईडीपी) ने जीर्णोद्धार करने के नाम पर प्लास्टर फेर दिया। 84 खंभों की छतरी का निर्माण महाराव अनिरुद्धसिंह के शासनकाल में देवा धाबाई ने अपनी मां जैसा बाई की याद में कराया था।
इसका निर्माण 1683 में शुरू हुआ और 1684 में पूरा हुआ। इन दिनों आरयूआईडीपी बूंदी के ऐतिहासिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवा रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से इस धरोहर की दुर्लभ पेंटिंग्स को नष्ट कर दिया गया। आर्कियोलॉजी के अफसरों ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
पुरावेत्ताओं का कहना है कि पुराने फोटो में यहां हंस पर सरस्वती का चित्र तथा शिलालेख पर बेलबूटे की खूबसूरत पेंटिग्स अंकित थीं। छतरी में रियासतकाल में बनाई गई बूंदी शैली की पेंटिंग्स पर प्लास्टर कर देने से अब पर्यटकों को ये पेंटिंग्स देखने को नहीं मिलेंगी। शेष त्न पेज १क्
हर साल 20 हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक बूंदी शैली की पेंटिंग्स व हेरिटेज देखने के लिए यहां आते हैं। इस छतरी की अहमियत इतनी है कि पर्यटकों को लुभाने के लिए बूंदी महोत्सव के मनोहारी कार्यक्रम यहीं होते हैं। बूंदी के पुरा अन्वेषक ओमप्रकाश कुक्की ने बताया कि वे शुक्रवार को छतरियां देखने गए तो पेंटिंग्स वाली जगह पर नया प्लास्तर दिखा। पुराने फोटो खंगालने पर पता चला कि वहां पर आकर्षक चित्र बने हुए थे, जो अब नहीं दिख रहे हैं। जीर्णोद्धार के दौरान उन दुर्लभ चित्रों को नष्ट कर दिया। इतनी बड़ी गलती क्यों और कैसे हो गई इसकी जांच की जाए और विरासत को नष्ट करने वाले अफसरों को निलंबित किया जाए।
इसका निर्माण 1683 में शुरू हुआ और 1684 में पूरा हुआ। इन दिनों आरयूआईडीपी बूंदी के ऐतिहासिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवा रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से इस धरोहर की दुर्लभ पेंटिंग्स को नष्ट कर दिया गया। आर्कियोलॉजी के अफसरों ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
पुरावेत्ताओं का कहना है कि पुराने फोटो में यहां हंस पर सरस्वती का चित्र तथा शिलालेख पर बेलबूटे की खूबसूरत पेंटिग्स अंकित थीं। छतरी में रियासतकाल में बनाई गई बूंदी शैली की पेंटिंग्स पर प्लास्टर कर देने से अब पर्यटकों को ये पेंटिंग्स देखने को नहीं मिलेंगी। शेष त्न पेज १क्
हर साल 20 हजार से ज्यादा विदेशी पर्यटक बूंदी शैली की पेंटिंग्स व हेरिटेज देखने के लिए यहां आते हैं। इस छतरी की अहमियत इतनी है कि पर्यटकों को लुभाने के लिए बूंदी महोत्सव के मनोहारी कार्यक्रम यहीं होते हैं। बूंदी के पुरा अन्वेषक ओमप्रकाश कुक्की ने बताया कि वे शुक्रवार को छतरियां देखने गए तो पेंटिंग्स वाली जगह पर नया प्लास्तर दिखा। पुराने फोटो खंगालने पर पता चला कि वहां पर आकर्षक चित्र बने हुए थे, जो अब नहीं दिख रहे हैं। जीर्णोद्धार के दौरान उन दुर्लभ चित्रों को नष्ट कर दिया। इतनी बड़ी गलती क्यों और कैसे हो गई इसकी जांच की जाए और विरासत को नष्ट करने वाले अफसरों को निलंबित किया जाए।
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