नई दिल्ली. केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले (पढि़ए कैसे सिर्फ 45 मिनट में लुट गए थे 1.76 लाख करोड़) में उनके खिलाफ दायर दो याचिकाओं को सुनने से मना कर दिया। शुक्रवार को अदालत को यह फैसला करना था कि 2 जी घोटाले में चिदंबरम को सहआरोपी बनाने के लिए दायर की गई सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका आगे सुनवाई के लायक हैं या नहीं।
एक याचिका जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने दायर की थी। इसमें उन्होंने मांग की थी कि 2जी घोटाले में चिदंबरम की कथित भूमिका की सीबीआई से जांच कराई जाए। कोर्ट ने दोनों ही याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने लायक नहीं माना। कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वह रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे।
सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी याचिका में मांग की थी कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में ए राजा के साथ-साथ पी चिदंबरम को भी सह-आरोपी बनाया जाए। स्वामी ने पहले ऐसी ही अर्जी दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत में भी दी थी। अदालत ने 4 फरवरी को उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। तब वह सुप्रीम कोर्ट गए थे। स्वामी ने अपनी अर्जी के साथ ए राजा और चिदंबरम के बीच हुई चार बैठकों का कथित ब्योरा भी अदालत में जमा कराया था।
स्वामी का आरोप है कि चिदंबरम को न सिर्फ घोटाले की जानकारी थी, बल्कि स्पेक्ट्रम के आवंटन से लेकर कीमत तय करने तक हर फैसले में उनका दखल था।
कोल ब्लॉक: सरकार का दावा, कोई नुकसान नहीं
इस बीच, सरकार का मानना है कि कोल ब्लॉक आवंटन में सरकारी खजाने को किसी तरह का नुकसान ही नहीं हुआ है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'अगर कोयले का खनन नहीं होगा तो वह धरती में ही रहेगा, ऐसे में नुकसान कहां से हुआ? नुकसान तो तब होता जब कोयले को जमीन से निकाला जाएगा और फिर औने-पौने दामों पर बेचा जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'एनडीए ने कोल ब्लॉक आवंटन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया था। यूपीए की ही सरकार थी जो नियमों में बदलाव करने में कामयाब रही। सरकार ने हालांकि कुछ समय बाद ये बदलाव कामयाब भी हए फिर भी उसकी आलोचना की जा रही है। मैं दुख के साथ कहता हूं कि मौजूदा कानूनों में कुछ कमियां हैं?' वित्त मंत्री ने दावा किया कि पिछले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था ने विकास किया है।
इसके बाद कोयला राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, 'विपक्ष को संसद चलने देना चाहिए। विपक्ष को अपनी बात कहनी चाहिए, सरकार अपना पक्ष रखेगी। कम से कम देश को पता तो चले कि वास्तव में क्या हुआ है?
जायसवाल ने कहा, 'मैं समझता हूं कि यह सरकार को बदनाम करने की एक साजिश है। यह देश के ईमानदार और निष्ठावान नेताओं को बदनाम करने की साजिश है। कैग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार बहस करने के लिए तैयार हैं। अगर स्पीकर चाहें तो प्रश्नकाल को रद्द करके भी बहस कराई जाए। प्रधानमंत्री पर आरोप लगाना गलत है। प्रधानमंत्री या फिर किसी भी अन्य मंत्री से ज्यादा नीतियों की जिम्मेदारी थी। नीतियां कई सालों से चली आ रही हैं। हमने उन्हें बेहतर बनाने की कोशिश की है। दुर्भाग्य की बात यह है कि जो पार्टी विरोध कर रही है उसके ही नेताओं ने पॉलिसी में बदलाव का विरोध किया है। जबरदस्त विरोध होने के बाद सरकार कैसे पॉलिसी में बदलाव कर सकती थी। यूपीए 1 सरकार ने फैसला किया था कि प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए हम बिडिंग प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे।'
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