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12 अगस्त 2012

जया एकादशी 13 को, ये है व्रत विधि व महत्व



भादौ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसका महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। उसी के अनुसार यह एकादशी सभी प्रकार के पापों का नाश करने वाली है। इस अजा एकादशी भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 13 अगस्त, सोमवार को है। जया एकादशी व्रत की विधि इस प्रकार है-

जया एकादशी व्रत का नियम पालन दशमी तिथि (12 अगस्त, रविवार) की रात से ही शुरु करें व ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी के दिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर साफ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन यथासंभव उपवास करें। उपवास में अन्न ग्रहण नहीं करें संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।

इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें।(यदि आप पूजन करने में असमर्थ हों तो पूजन किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।) भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद उनके चरणामृत को व्रती (व्रत करने वाला) अपने और परिवार के सभी सदस्यों के अंगों पर छिड़कें और उस चरणामृत को पीएं। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।

विष्णु सहस्त्रनाम का जप एवं उनकी कथा सुनें। रात को भगवान विष्णु की मूर्ति के समीप हो सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें। जो मनुष्य यत्न के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर अंत में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस एकादशी की कथा के श्रवणमात्र से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

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