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11 जुलाई 2012

गुजरात दंगे: वाजपेयी और नारायणन की चिट्ठियों पर लगी रोक


नई दिल्ली.दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के उस कदम को सही ठहराया है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन के बीच गोधरा के बाद 2002 में गुजरात में हुए दंगे को लेकर लिखी गई चिट्ठियों को सार्वजनिक नहीं करने का फैसला लिया गया था। हाई कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच हुए पत्र व्यवहार को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) के आदेश पर रोक लगा दी। केंद्रीय सूचना आयुक्त ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए वाजपेयी और नारायणन के बीच हुए पत्राचार को सामने लाए जाने का निर्देश दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने सीआईसी के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनिल कुमार ने अपने आदेश में कहा, मौजूदा तथ्यों और हालात के मद्देनजर सीआईसी का 8 अगस्त, 2006 को दिया गया निर्देश अमल में लाए जाने लायक नहीं है। सीआईसी केंद्र को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच पत्र व्यवहार को सार्वजनकि करने या खुद भी देखने का निर्देश नहीं दे सकते क्योंकि भारतीय संविधान की धारा 74(2) के तहत इस पर रोक लगी हुई है। धारा 74(2) मंत्रिपरिषद (काउंसिल ऑफ मिनिस्टर) की ओर से राष्ट्रपति को दी गई सलाह को सार्वजनिक करने से रोकती है।

सीआईसी की फुल बेंच के फैसले को किनारे रखने के अलावा कोर्ट ने आरटीआई कार्यकर्ता सी रमेश की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने गुजरात दंगों पर तत्कालीन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच हुए पत्राचार को जानने का हक न होने के खिलाफ अपील की थी। सीआईसी की फुल बेंच ने 8 अगस्त, 2006 को उन चिट्ठियों की मांग की थी, जो गुजरात दंगों के संबंध में तत्कालीन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच पत्राचार के दौरान भेजी गई थीं। रमेश ने इन्हीं चिट्ठियों को सार्वजनिक करने की मांग की थी। सीआईसी की फुल बेंच ने कहा था कि यह पता लगाने के लिए कि चिट्ठियां देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा पैदा करती हैं या नहीं, चिट्ठियों को देखना जरूरी है। इसके बाद ही इस बारे में उचित फैसला लिया जा सकता है। लेकिन केंद्र ने सीआईसी के निर्देश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी थी कि ऐसी चिट्ठियों का खुलासा देश की एकता और अखंडता पर बुरा असर डाल सकती है।

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