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14 जुलाई 2012

यहीं पर रावण ने हवन कुंड में डाल दिए थे अपने दसों सिर!

बैजनाथ। ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में श्रावण माह के सोमवार मेले 16 जुलाई से आरंभ होंगे। मेलों के सफल आयोजन के लिए मंदिर प्रशासन ने तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। इस बार सोमवार मेलों के दौरान हर सोमवार को महारुद्र यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। बैजनाथ शिव शिव मंदिर प्राचीन शिल्प एवं वास्तुकला का अनूठा व बेजोड़ नमूना है, जिसके भीतर शिवलिंग अर्ध नारीश्वर के रूप में विद्यमान है तथा मंदिर के द्वार पर कलात्मक रूप से बनी नंदी बैल की मूर्ति शिल्प कला का अदभुत नमूना है। मेलों के लिए मंदिर सहित प्रवेश द्वार को फूलों से सजाया जाएगा।

बैजनाथ में रावण ने दी थी 10 सिरों की आहुतियां
जनश्रुति के अनुसार राम रावण युद्घ के दौरान रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत पर घोर तपस्या की थी और भगवान शिव को लंका चलने का वर मांगा, जिससे युद्घ में विजय प्राप्त की जा सके।


भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण के साथ लंका एक पिंडी के रूप में चलने का वचन दिया और साथ में यह शर्त रखी कि वह इस पिंडी को कहीं जमीन पर राकर सीधा इसे लंका पहुंचाए। जैसे ही शिव की इस अलौकिक पिंडी को लेकर रावण लंका की ओर रवाना हुआ रास्ते में की ग्राम (बैजनाथ) पर रावण को लघुशंका महसूस हुई और उन्होंने वहां खड़े एक व्यक्ति को थोड़ी देर के लिए पिंडी सौंप दी।


लघुशंका से निवृत होकर रावण ने देखा कि जिस व्यक्ति के हाथ में वह पिंडी दी थी वह ओझल हो चुके हैं और पिंडी जमीन में स्थापित हो चुकी थी। रावण ने स्थापित पिंडी को उठाने के काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई फिर उन्होंने इस स्थली पर घोर तपस्या की और अपने दस सिर कि आहुतियां हवन कुंड में डालीं। तपस्या से प्रसन्न होकर रुद्र महादेव ने रावण के सभी सिर पुन: स्थापित कर दिए।

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