हालांकि एफसीआई के अधिकारियों ने इससे इनकार किया है। ग्रामीणों का कहना है कि शुक्रवार शाम को ओपीसी फैक्ट्री से कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉलियां आईं और सड़े हुए गेहूं को फैक्ट्री से 10 किमी दूर खेतों में फेंककर चली गईं। शनिवार सुबह जब गाय-भैंस खेतों में चरने के लिए गए, तो इस गेहूं को खाकर बीमार पड़ गए। किसान जगदीश रायका की दो गायों की स्थिति नाजुक बनी हुई है।
चारों तरफ दुर्गंध
ग्रामीण बद्रीलाल व अनिल ने बताया कि खेतों में फेंके गए गेहूं की दुर्गंध गांव तक आ रही है। इससे ग्रामीणों को जीना मुश्किल हो गया है। सड़े हुए गेहूं के कई खेतों में ढेर लगे हुए हैं। इन्हें जल्द नहीं हटाया गया तो ग्रामीण भी बीमार पड़ जाएंगे। खेतों में फेंका गया गेहूं आठ से दस ट्रॉली है। ग्रामीणों ने बताया कि शुक्रवार को करीब 10 ट्रॉलियां ओपीसी फैक्ट्री से आईं और सड़े गेहूं के ढेर खेतों में लगा दिए। यह गेहूं अब खाद जैसा हो गया है।
हमने कोई गेहूं खेतों में नहीं फिंकवाया है। जो गेहूं खराब हुआ है, उसके डिस्पोजल के लिए पूरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कमेटी गठित होगी, वह जैसा निर्देश देगी, वैसा ही किया जाएगा। -एनएल पंवार, मैनेजर, एफसीआई
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