आपका-अख्तर खान

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20 जुलाई 2012

लेकिन - तुम कह दो

लेकिन - तुम कह दो
मैं सह लूँगा - जो कहना है
अपने जज्बात से -
मैं खुद कह लूँगा.

परेशां ना रहो - कुछ तो कहो
बुतों से यूँ तो ना घिरे रहो .
अकेले - खो जाओगे
जो मुझ से अलग - अपने को
दूर खड़ा पाओगे .

छोडो - वक्त की ठोकरें
इन्हें अभी और खाने दो .
सितारों से भी आगे - एक
नया जहाँ बसाने दो - अरे
उन्हें मत रोको - जो
जा रहें हैं उन्हें जाने दो .

कोई कमी रह गयी शायद
ये सपने - सोते हैं बहूत
इन्हें यूँ ही सो जाने दो
बहूत रोती हैं ये ऑंखें -
इन्हें थोडा और धुंधलाने दो -

अँधेरे - शाश्वत तो नहीं होते
इस जमीन को - सूर्य के
इसी तरह चक्कर लगाने दो .
भौर तो होनी है - होगी जरुर
एक बार जरा - मुझे
रौशनी में तो आने दो ।

1 टिप्पणी:

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