इस दौरान उन श्रद्धालुओं को समझौता करना होगा, जो कई सालों से नियम से उनके अलग-अलग 7 रूपों के रोज दर्शन करते आ रहे हैं। उन्हें 17 से 19 अगस्त तक ठाकुरजी के दो ही दर्शन हो सकेंगे, लेकिन खुशी इस बात की होगी कि वे 25 साल बाद ठाकुरजी के मंगला व विशेष मनोरथ के दर्शन कर सकेंगे।
ऐसा विशेष संयोग इससे पूर्व वर्ष 1986 में आया था। छप्पनभोग की स्थापना वर्ष 1886 में हुई थी। उसके 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रथम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्रीनित्य लीलास्थ गोस्वामी श्रीरणछोड़लाल महाराज ने विशेष छप्पनभोग का आयोजन किया था। उस समय भगवान की भ्रमण यात्रा जैसा अदभुत व अनूठा अवसर भी देखने का योग आया था। भविष्य में ऐसा योग अब फिर कब मिलेगा, यह तय नहीं होता है। इस अनूठे अवसर का लाभ लेने के लिए कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, गुना, बीकानेर, झालावाड़, बारां, बूंदी, गुजरात, मप्र सहित देश के कई शहरों से सैकड़ों की संख्या में वल्लभ संप्रदाय के श्रद्धालु कोटा आएंगे।
छप्पनभोग में बनेगी यमुना नदी
इसी दिन शाम को भगवान का नाव का मनोरथ होगा। छप्पनभोग में ही यमुना नदी का भावनात्मक प्रतिरूप बनाया जाएगा और ठाकुरजी नाव में विराजमान होंगे। 18 को छप्पनभोग के दर्शन होंगे, 19 की शाम फूल बंगले का मनोरथ होगा। फूल बंगले सजाने के लिए वृंदावन से कलाकार आएंगे। ठाकुरजी 19 या 20 को गुप्त रूप से फिर से अपने गृह बड़े मथुराधीशजी मंदिर में पधारेंगे।
300 साल पुराने रथ में होगे सवार
महाराजश्री के निजी सचिव मथुरेश कटारा के अनुसार 16 अगस्त को शाम 4.30 बजे से गृहप्रवेश की शोभायात्रा प्राचीन परंपरानुसार गढ़ पैलेस से बड़े मथुराधीश मंदिर के लिए प्रारंभ होगी। शाम को भगवान के कुंडारे के दर्शन होंगे। 17 अगस्त को सुबह 7 बजे भगवान मथुराधीशजी शाही ठाठ-बाठ से छप्पनभोग के लिए पधारेंगे। भगवान झाजी (चारों तरफ से बंद मंदिरनुमा घर) में सवार होकर 300 साल पुराने सीकरम रथ में विराजमान होंगे, जिसे प्राचीन परंपरा के अनुसार बैल हांकेंगे।
छप्पनभोग में बनेगी यमुना नदी
इसी दिन शाम को भगवान का नाव का मनोरथ होगा। छप्पनभोग में ही यमुना नदी का भावनात्मक प्रतिरूप बनाया जाएगा और ठाकुरजी नाव में विराजमान होंगे। 18 को छप्पनभोग के दर्शन होंगे, 19 की शाम फूल बंगले का मनोरथ होगा। फूल बंगले सजाने के लिए वृंदावन से कलाकार आएंगे। ठाकुरजी 19 या 20 को गुप्त रूप से फिर से अपने गृह बड़े मथुराधीशजी मंदिर में पधारेंगे।
प्रथम पीठाधीश्वर के स्वागत में होगा यह भ्रमण
वल्लभकुल संप्रदाय के प्रथम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्रीविट्ठलनाथजी (श्रीलालमणि) के पौत्र प्रथम पीठाधीश्वर युवराजात्माज गो. चि. रणछोड़लाल बावा (श्रीकृष्णास्य बावा) अपने जन्म के बाद पहली बार कोटा आ रहे हैं। उनके गृह प्रवेश को उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। इसी शुभ उपलक्ष्य में ठाकुरजी भी भ्रमण पर पधारेंगे। इस अवसर पर श्रीलालमणि महाराज के पुत्र प्रथम पीठाधीश्वर युवराज गोस्वामी श्री प्रभुजी (मिलनकुमार) भी उपस्थित होंगे। परंपरा यह है कि प्रथम पीठाधीश्वर के बड़े पुत्र ही मथुराधीश पीठ के पीठाधीश्वर होते हैं।
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