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21 जुलाई 2012

:परिजनों और गांववालों का विकराल रूप देख फूले पुलिस के हाथ पांव!


उदयपुर.फ्रिज, टीवी, कूलर, पंखे और घर का सारा सामान तहस नहस। सैकड़ों गांव वालों के साथ महिलाओं ने हत्या के आरोपी उदयलाल डांगी के घर के भीतर ही चिता की लकड़ियां लगाना शुरू कर दिया।

सुखेर थाना क्षेत्र के शोभागपुरा गांव में बीती रात चाकूबाजी में मारे गए युवक शंकरलाल के परिवारजनों और गांव वालों के गुस्से ने शुक्रवार को इतना विकराल रूप धारण किया कि पुलिस वालों के भी हाथ पांव फूल गए। सुबह दस बजे से एक बजे तक आरोपी के मकान के बाहर व भीतर गुस्से से उफनाए लोगों ने खूब हंगामा किया। पूरे घर में जमकर तोड़फोड़ की गई और पुलिस इस दौरान कुछ नहीं कर सकी। लोग शंकर लाल का शव भी ले आए और घर के अंदर ही अंतिम संस्कार पर अड़ गए।

मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने लोगों को समझाया। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन व युवकों को कानून का डर दिखाकर शांत किया। इस बीच गांव की महिलाएं दाह संस्कार के लिए आरोपी के घर लकड़ियां लेकर पहुंच गईं। पुलिस अधिकारियों को शव घेर कर महिलाओं को समझाना पड़ा। तीन घंटे समझाइश के बाद शव को आरोपी के घर से ले जाया गया।

सड़क पर मिट्टी डालने को लेकर था विवाद

सूत्रों के अनुसार उदयलाल डांगी के घर निर्माण कार्य में छज्जा निकालने को लेकर विवाद शुरू हुआ। मामला सरपंच तक पहुंचा, लेकिन सरपंच ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उदयलाल डांगी ने अपने घर के आगे पूरी सीसी रोड पर मिट्टी डाली दी थी। पानी पड़ने से इस पर कीचड़ हो जाता था। शंकर ने सड़क से मिट्टी हटाने को कहा था। इसी को लेकर दोनों पक्षों में विवाद फिर खड़ा हो गया था।

तीन गिरफ्तार

शंकरलाल पुत्र मेघराज डांगी की हत्या के आरोप में पुलिस ने तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें उदयलाल डांगी के बेटे भरत और जगदीश सहित भरत का दोस्त परवीन डांगी शामिल है। थानाधिकारी रामसुमेर ने बताया कि ये तीनों शंकरलाल की हत्या करने की प्लानिंग से ही निकले थे। शंकर इन्हें सौ फीट रोड पर मिल गया। वहां तीनों ने मारपीट के बाद उसे चाकू घोंप दिया।

रिपोर्ट हुई तो तोड़-फोड़ करने वालों पर भी करेंगे कार्रवाई

'घर में तोड़ फोड़ होने के मामले में किसी की ओर से रिपोर्ट आती है तो तोड़-फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

राम सुमेर, थानाधिकारी, सुखेर

शव देख घर में मचा कोहराम

शोभागपुरा में शंकर लाल का शव जैसे ही लाया गया, घर में कोहराम मच गया। बुजुर्ग पिता की रुलाई रोके नहीं रुक रही थी। बार-बार पिता को बुला रही बेटियों के स्वर सबको द्रवित कर रहे थे। यह नजारा हर ग्रामीण की आंखें नम कर रहा था। सबकी जुबां पर यही बात थी कि गांव का सबसे सीधा और व्यवहारशील लड़का था, नियति ने परिवार के साथ बुरा किया।

शंकर लाल को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा गांव उसके घर के बाहर इकट्ठा हो गया। जैसे ही शवयात्रा शुरू हुई और शंकर को अंतिम विदाई देने का समय आया तो सैकड़ों आंखें छलक पड़ीं।

बेटियां बुला रही थीं पापा को

शंकर की तीन छोटी बेटियां विद्या, दीपू और अंजू शव के पास बैठकर अपने पापा को बार बार वापस आने के लिए कह रही थीं। छोटी बेटी को तो यह अंदाजा भी नहीं था कि उसे दुलारने वाले पापा को क्या हो गया है। उसे लग रहा था कि पापा जाग जाएंगे। बुजुर्ग पिता मेघराज भी हर पल भगवान से इस अन्याय की शिकायत कर रहा था। मेघराज दो दिन पहले ही अमरनाथ यात्रा से लौटा था।

सरपंच नहीं पहुंचा मौके पर

गांव वालों में सरपंच के नहीं आने से नाराजगी भी थी।वे उसे भी बुलाना चाहते थे। उन्होंने पुलिस वालों से उसे बुलाने की मांग की थी। रिश्तेदारों और गांववालों का आरोप था कि यह सब कुछ सरपंच की ढील के कारण हुआ है। यदि सरपंच कार्रवाई कर देता तो यह नौबत नहीं आती।

पिछले दिनों उदयलाल डांगी के घर निर्माण कार्य में छज्जा निकालने पर खड़े हुए विवाद के बाद मामला सरपंच तक गया था, लेकिन सरपंच ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसी ढील के चलते उदयलाल डांगी ने छज्जा निकाला था और तब से उसका और उसके बेटों का हौसला बढ़ गया था।

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