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21 जुलाई 2012

इस नदी का नाम लेते ही भाग जाते हैं सांप!


हिन्दू महीना सावन कालों के काल महाकाल यानी भगवान शिव की भक्ति का शुभ काल है। इसका एक व्यावहारिक पहलू तब सामने आता है जब शिव को ही प्रिय काल रूप नाग जाति इस काल में ज्यादा सक्रिय होती है। इसमें नागपंचमी के रूप में नाग पूजा का भी विशेष दिन नियत हैं।

हिन्दू धर्म पंचांग के मुताबिक सावन से शुरू चातुर्मास के चार माह नाग जाति का प्रजनन या मिलन काल भी माना जाता है। वहीं इस दौरान बारिश के पानी से उनके प्राकृतिक आवास खत्म जाते हैं और वहां से बाहर निकलने पर उनका सामना इंसान व अन्य जीवों के साथ होता है।

इस दौरान होने वाले टकराव के दौरान संकोची और संवेदनशील मानी जाने वाली नाग जाति का आत्मरक्षा के लिए आक्रामक होकर डंसना मनुष्य और अन्य जीवों के लिए प्राणघातक होता है।

शास्त्रों में इस विशेष काल में सांपों के काटने से बचने के लिए अहम सावधानियां और उपचार बताए गए हैं। किंतु कुछ ऐसे धार्मिक उपाय भी उजागर किए गए हैं जो आसान होने के साथ सर्प और उसके भय से छुटकारा देने में असरदार भी हैं। माना जाता है कि इनको अपनाने से सांप आस-पास भी नहीं फटकते।

विष्णु पुराण में ऐसा ही एक सरल उपाय बताया गया है। लिखा गया है कि -

नर्मदायै नम: प्रातर्नर्मदायै नमो: निशि।

नमोस्तु नर्मदे तुभ्यं त्राहि माँ त्राहि मां विषसर्पत:।।

इसका सरल शब्दों में मतलब है कि नर्मदा नदी का नाम लेनेभर से सांप भाग जाते हैं। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में नर्मदा नदी को भगवान शिव की पुत्री भी माना गया है और नागों के स्वामी भगवान शंकर ही हैं।

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