नई दिल्ली। प्रणब मुखर्जी ने बतौर राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को चौथा विश्वयुद्ध बताते हुए कहा कि यह दानव पूरे विश्व में कहीं भी अपना सिर उठा सकता है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अभी युद्ध का युग समाप्त नहीं हुआ है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'हम चौथे विश्वयुद्ध के बीच में हैं, शीतयुद्ध तीसरा विश्वयुद्ध था जिसका 1990 में समाप्त होने तक एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका पर काफी व्यापक असर रहा।' आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'भारत इस युद्ध के मोर्चे पर तब से है जबसे इसकी गहराई या खतरनाक परिणामों को बाकी लोगों ने मान्यता तक नहीं दी थी।'
मुखर्जी ने भारतीय सुरक्षाबलों के साहस और हौसलों पर गर्व करते हुए कहा, 'मुझे गर्व है हमारी सेना पर जिसने सीमाओं पर इन धमकियों से लड़ाई लड़ी है, हमारी पुलिस फोर्स के वीर जवानों पर जिन्होंने देश के भीतर दुश्मनों का सामना किया है और हमारे देश के नागरिकों पर जिन्होंने शांति व्यवस्था और आपसी सौहार्द बनाए रखकर आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया है।'
प्रणब को बुधवार को सीजेआई एसएच कपाडि़या ने 13वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ( दिलाई। इसके बाद अपने भाषण में उन्होंने भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार देश को मायूस करता है। लेकिन टीम अन्ना उन पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। अन्ना हजारे के साथी आज से जंतर मंतर पर मजबूत लोकपाल के लिए अनशन कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रणब मुखर्जी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। उनका दावा है कि उन पर चारों आरोपों के पक्ष में सुबूत प्रधानमंत्री को दिए गए थे, लेकिन अब इनकी जांच नहीं हो सकती
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