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08 जुलाई 2012

राजीव गांधी के पीएम बनने के खिलाफ थे प्रणब मुखर्जी!



नई दिल्ली. दिवंगत कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद चाहते थे कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जाए। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने यह खुलासा अपनी आत्मकथा 'बियोंड द लाइंस' (रोली बुक्स) में किया है।

नैयर के अनुसार, कांग्रेस कार्यसमिति ने जल्दबाजी में एक बैठक बुलाकर राजीव गांधी का नाम उनकी दिवंगत मां की उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तावित कर दिया। लेकिन इस प्रस्ताव से दो वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी और अर्जुन सिंह सहमत नहीं थे।

उन्होंने लिखा है, "प्रणब मुखर्जी का कहना था कि राजीव गांधी जब तक औपचारिक रूप से कांग्रेस संसदीय दल का नेता नहीं चुन लिए जाते, तब तक किसी वरिष्ठतम व्यक्ति को प्रधानमंत्री का पद संभालना चाहिए। अर्जुन सिंह का विचार कुछ अलग था। वह इस बात पर अड़े थे कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री होना चाहिए। राजीव गांधी ने जो सरकार गठित की, उसमें उन्होंने जानबूझकर प्रणब को शामिल नहीं किया। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया, ताकि आम चुनाव जल्द कराया जा सके।"

अंग्रेजी दैनिक 'स्टेट्समैन' के पूर्व स्थानीय संपादक एवं समाचार एजेंसी यूएनआई के प्रबंध संपादक नैयर ने अपनी आत्मकथा में 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' से जुड़ी घटनाओं का भी विस्तार से वर्णन किया है।

वह कहते हैं कि उग्रवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले का उग्र हाव-भाव सिखों को पसंद नहीं था। नैयर कहते हैं, "वह खुद को कानून और देश से ऊपर समझता था। उसका ख्याल था कि ईश्वर ने उसे एक मिशन के लिए चुना है। उसकी महत्वाकांक्षा इतनी ताकत हासिल करने की थी जिसे पुलिस और भारत की सेना चुनौती नहीं दे पाए। यही उसकी त्रासदी थी।"

नैयर कहते हैं कि इंदिरा गांधी के दिवंगत छोटे बेटे संजय गांधी ने सुझाव दिया था कि कुछ संतों को इतना बढ़ावा दिया जाए कि वे पंजाब की अकाली दल सरकार को चुनौती दे सकें। संजय गांधी ने पंजाब की राजनीतिक परिस्थिति के मूल्यांकन के लिए कांग्रेस नेता ज्ञानी जैल सिंह (पूर्व मुख्यमंत्री जो बाद में राष्ट्रपति बने) और दरबारा सिंह (जो बाद में मुख्यमंत्री बने) को चुना था।

नैयर ने लिखा है, "जैल सिंह भी भिंडरांवाले के साथ निरंतर सम्पर्क बनाए हुए थे, हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इस बात से इंकार किया।"


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