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01 जुलाई 2012

मनमोहन 'गिड़गिड़ाए' तो बदला कलाम ने फैसला


नई दिल्ली। मिसाइल मैन कलाम ने एक बार राष्ट्रपति पद से इस्तीफा लिख दिया था। तारीख थी 23 मई 2005। मसला था बिहार विधानसभा भंग करने का। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को गलत करार दिया था। मामले का जिक्र डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब 'टर्निंग प्वाइंट ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज' में किया है।


किताब में इस बात का भी उल्लेख है कि 2004 के आम चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद मनमोहन सिंह का नाम प्रधानमंत्री के तौर पर पेश किया था। किताब जुलाई के पहले हफ्ते में रिलीज होने वाली है। कलाम ने इसमें बतौर राष्ट्रपति (2002-05) अपने अनुभवों को दर्ज किया है। शनिवार को इसके कुछ अंश सामने आए हैं।

सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री नहीं बनने पर

2004 के आम चुनाव के बाद तीन दिन तक किसी ने दावा पेश नहीं किया। 18 मई को सोनिया गांधी आईं और सरकार बनाने का दावा पेश किया। लेकिन समर्थकों की चिट्ठी साथ नहीं थी। राष्ट्रपति भवन ने सारी तैयारी कर ली थी। रात सवा आठ बजे मनमोहन सिंह के साथ सोनिया गांधी फिर आईं। बतौर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम प्रस्तावित कर दिया। मैं चौंक गया था। नाम बदल कर सभी औपचारिकताएं नए सिरे से करनी पड़ीं।

कई लोगों ने आपत्ति जताई थी

उस दौरान कई दलों और संस्थाओं ने ई-मेल और पत्र भेजकर सोनिया गांधी का दावा स्वीकार नहीं करने की सलाह दी थी। लेकिन ये मांग संविधान सम्मत नहीं थी। अगर सोनिया गांधी खुद के लिए दावा पेश करतीं तो मेरे पास उसे स्वीकार करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
इस्तीफा देने को लेकर

मैं मॉस्को के दौरे पर था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो बार फोन किया। बिहार के राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा भंग करने के कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। मैंने उनसे पूछा कि इतनी जल्दी क्या है। लेकिन सरकार मन बना चुकी थी। फिर मैंने भी विधानसभा भंग करने के आदेश पर दस्तखत कर दिए।

सरकार ने ठीक से पैरवी नहीं की

मुझे महसूस हुआ कि मेरे विशेष आग्रह के बाद भी सरकार ने राष्ट्रपति के फैसले को कोर्ट में सही ढंग से नहीं रखा। इसीलिए कोर्ट ने विपरीत टिप्पणी की। मैंने इस्तीफा लिख लिया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इससे हंगामा होगा और सरकार गिर सकती है। फिर मैंने फैसला बदल लिया।
गुजरात दंगों पर


वाजपेयी बोले थे, क्या जरूरी है जाना?

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझसे पूछा था कि क्या इस वक्त गुजरात जाना जरूरी है? मैंने कहा था कि यह मेरी जिम्मेदारी है। इससे लोगों की पीड़ा कम करने और राहत कार्यों में तेजी लाने में मदद मिलेगी। लोगों में एकजुटता का भाव भी आएगा।


राष्ट्रपति जी मुझे मां-बाबूजी दे दो

मैंने तीन राहत शिविरों और नौ दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। एक राहत शिविर में छह साल का एक बच्चा मेरे दोनों हाथ थाम कर बोला 'राष्ट्रपतिजी मुझे अपने मां-बाबू जी चाहिए।' मैं कुछ नहीं बोल पाया। वहीं कलेक्टर से बात की। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा दिलाया कि बच्चे की पूरी जिम्मेदारी सरकार उठाएगी।

विपक्ष के आरोपों की कलई खुली : कांग्रेस

कलाम के खुलासे पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि विपक्ष के आरोपों की कलई खुल गई है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है। सत्ता की चाबी आज भी सोनिया गांधी के हाथों में ही है। जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मांग की है कि कलाम 17 मई 2004 की वो चिट्ठी दिखाएं जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी से उस दिन शाम पांच बजे मिलने का समय रद्द कर दिया था।

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इसे अप्रासंगिक बताया है। पार्टी अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, यदि कलाम ने 2004 में ऐसा कहा होता, तो यह अलग स्तर का नैतिक बल होता। यह टिप्पणी अब उस तरह का नैतिक बल नहीं रखती है। उन्होंने घटना के आठ साल बीत जाने के बाद यह खुलासा किया है। उस समय जो इसकी प्रासंगिकता होती, वह आज नहीं है।

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