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20 जुलाई 2012

अब कभी सुनाई न देगी 22 साल के इस अजगर की फुफकार, देखें तस्वीरें

कोटा. चिड़ियाघर में शुक्रवार को अजगर(मादा पायथन) की फुफकार शांत हो गई। 22 साल की आयु में उसने चिड़ियाघर के पिंजरे में अंतिम सांस ली। केयरटेकर ने शुक्रवार सुबह इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को दी।

चिड़ियाघर के अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। मौत की पुष्टि के बाद डीएफओ ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर चिड़ियाघर परिसर में अंतिम संस्कार करवाया। उसने कुल 14 साल यहां के पिंजरे में बिताए।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा-लीवर खराब

शैड्यूल फस्र्ट (दुर्लभ प्रजाति) के इस रेप्टालिया वर्ग में इंडियन डॉग पयथन प्रजाति से हैं। मेडिकल बोर्ड से इसका पोस्टमार्टम करवाया। टीम में डॉ. लीलाराम शर्मा, डॉ. खुशालसिंह व डॉ. एके पांडे शामिल रहे। डॉ. पांडे ने बताया कि रिपोर्ट में मादा अजगर की मौत लीवर सिहरेसिस (इसमें लीवर का अंदरूनी हिस्से काम करना बंद कर देते हैं) नामक बीमारी से हुई।

9 जुलाई को किया था मुर्गे का शिकार

चिड़ियाघर में मादा अजगर को केयरटेकर जानकीलाल ने खाने के लिए मुर्गा दिया था। उसने तुरंत हमला कर गर्दन मरोड़ कर मार दिया था। उसने बाद में उसे आहार नहीं बनाया।

14 साल पहले पकड़ा था सर्कस

1998 में दशहरा मैदान में गणेश नामक सर्कस (जू) से वाइल्ड लाइफ की टीम ने एक मादा व नर जोड़े को पकड़ा था। 12 फीट लंबी इस मादा अजगर को विभागीय अधिकारियों ने चिड़ियाघर में रखा। 2007 में साथी अजगर की मौत हो गई थी। पांच साल बाद अब इसने दम तोड़ दिया।

मादा अजगर की मौत लीवर हिसरेसिस नामक बीमारी से हुई है। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर अंतिम संस्कार करवा दिया है।

-बीपी पारीक, डीएफओ चिड़ियाघर

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