एक फटे कपड़े
दरिद्र हालात में
लकड़ी लिए
किसी मास्टर को पीटने के लियें
ढूंढ़ रहा था ॥
लोग इधर उधर होने लगे
तो इस दरिद्र फटेहाल
आम भारतीय ने कहा
के आपसे मुझे कोई शिकायत नहीं
आप तो रुको
में तो उसे तलाश रहा हूँ
जिसने उस मुए को
ऐसा नाकामयाब
अर्थशास्त्र पढाया है
बताओ दोस्तों यह कोन हे
जिसके लियें
एक आम हिन्दुस्तानी
लूटे पिटे आम भारतीय ने कहा है
बताओ तो जाने बताओगे ना ...................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
04 जून 2012
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Hey very interesting blog!
जवाब देंहटाएंMy web blog :: sian