कोटा.तीन दशक पहले चिड़ियाघर में एक मादा भालू की मौत ने उन्हें इतना विचलित कर दिया कि वो आज भी परिवार से ज्यादा चिड़ियाघर के जानवरों से प्रेम करते हैं। 24 घंटे में महज चार घंटे परिवार के लिए निकाल पाते हैं, बाकी समय चिड़ियाघर में जानवरों की देखभाल एक पिता की तरह कर रहे हैं।
यहां गंभीर घायल जानवर, पशु-पक्षी आने पर उनकी सेवा एवं देखभाल करते हैं। ये शख्स हैं, चिड़ियाघर के 56 वर्षीय केयरटेकर जानकीलाल। विज्ञान नगर स्थित घर में पत्नी, दो बच्चे, बहुएं, चार पोते एवं दो नवासे हैं, लेकिन वे परिवार से ज्यादा मूक जानवरों की सेवा में बिताते हैं। सेवा करते-करते यहां परिवार सा महसूस होने लगा है। वो बताते हैं कि इन जानवरों से इतना लगाव हो गया है कि इनसे दूर नहीं जा सकता।
जानवर पहले, परिवार बाद में
जानकीलाल ने बताया कि इन जानवरों का रिश्ता पिता व संतानों सा हो गया है। इनके बगैर अब नहीं रहा जाता है। सुबह उठकर जब तक पिंजरों में इन जानवरों को चैक नहीं कर लूं, तब तक मन को सुकून नहीं मिलता है। कोई जानवर यदि थोड़ा सा भी उदास होता है तो चिंता सताने लगती है।
एक आवाज में खिंचे चले आते हैं जानवर
चिड़ियाघर में 1980 से जानकीलाल इन जानवरों को संभाले हुए हैं। चिड़ियाघर में सबसे पहले चीतल, सांभर व नील गायें थी। 1986-87 में यहां अन्य जानवर आए। सबसे परिवार सा जुड़ाव हो चुका है। अब यदि किसी भी जानवरों को नाम से पुकारे तो वो खिंचे चले आते हैं।
अब गुरु मंत्र जीव सेवा
जानकीलाल ने कहा कि उनके गुरु स्वामी सेवादास ने उन्हें जीव सेवा का मंत्र दिया हुआ है। इन जीवों की सेवा से मन को आनंद आता है। कितना भी आवश्यक काम हो इन्हें संभाले बगैर नहीं रहा जाता।
दो दिन की बंदरिया को संभाला
चिड़ियाघर में घायलावस्था में आई दो दिन की बंदरिया को जानकीलाल ने संभाला है। घायलावस्था में उसे कुछ लोग चिड़ियाघर में लेकर आए। रविवार को बंदरिया को पानी व दूध पिलाया। अब दोनों में इतना प्रेम हो गया है कि वो उनके बगैर कहीं नहीं जाती है।
यहां गंभीर घायल जानवर, पशु-पक्षी आने पर उनकी सेवा एवं देखभाल करते हैं। ये शख्स हैं, चिड़ियाघर के 56 वर्षीय केयरटेकर जानकीलाल। विज्ञान नगर स्थित घर में पत्नी, दो बच्चे, बहुएं, चार पोते एवं दो नवासे हैं, लेकिन वे परिवार से ज्यादा मूक जानवरों की सेवा में बिताते हैं। सेवा करते-करते यहां परिवार सा महसूस होने लगा है। वो बताते हैं कि इन जानवरों से इतना लगाव हो गया है कि इनसे दूर नहीं जा सकता।
जानवर पहले, परिवार बाद में
जानकीलाल ने बताया कि इन जानवरों का रिश्ता पिता व संतानों सा हो गया है। इनके बगैर अब नहीं रहा जाता है। सुबह उठकर जब तक पिंजरों में इन जानवरों को चैक नहीं कर लूं, तब तक मन को सुकून नहीं मिलता है। कोई जानवर यदि थोड़ा सा भी उदास होता है तो चिंता सताने लगती है।
एक आवाज में खिंचे चले आते हैं जानवर
चिड़ियाघर में 1980 से जानकीलाल इन जानवरों को संभाले हुए हैं। चिड़ियाघर में सबसे पहले चीतल, सांभर व नील गायें थी। 1986-87 में यहां अन्य जानवर आए। सबसे परिवार सा जुड़ाव हो चुका है। अब यदि किसी भी जानवरों को नाम से पुकारे तो वो खिंचे चले आते हैं।
अब गुरु मंत्र जीव सेवा
जानकीलाल ने कहा कि उनके गुरु स्वामी सेवादास ने उन्हें जीव सेवा का मंत्र दिया हुआ है। इन जीवों की सेवा से मन को आनंद आता है। कितना भी आवश्यक काम हो इन्हें संभाले बगैर नहीं रहा जाता।
दो दिन की बंदरिया को संभाला
चिड़ियाघर में घायलावस्था में आई दो दिन की बंदरिया को जानकीलाल ने संभाला है। घायलावस्था में उसे कुछ लोग चिड़ियाघर में लेकर आए। रविवार को बंदरिया को पानी व दूध पिलाया। अब दोनों में इतना प्रेम हो गया है कि वो उनके बगैर कहीं नहीं जाती है।
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