बर्लिन।जर्मनी की एक अदालत ने कहा है कि धार्मिक आधार पर छोटी उम्र के लड़कों का खतना करना उनके शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाना है।
एक ऐतिहासिक फैसले में यह व्यवस्था देते हुए कोलोन की धार्मिक अदालत ने कहा कि बच्चों की शारीरिक परिपूर्णता का बुनियादी अधिकार माता-पिता के बुनियादी अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा, 'यदि माता-पिता अपने बच्चे को खुद खतना कराने का फैसला करने तक इंतजार करते हैं तो यह उनके अभिभावकों की धार्मिक आजादी और उनके बच्चों को पढ़ाने के उनके अधिकारों से समझौता नहीं होगा।
हालांकि, यहूदी समुदाय ने इसे माता-पिता के धार्मिक अधिकारों को कुचलने के समान ब ताया है। अदालत में कोलोन के एक डॉक्टर के खिलाफ मामला आया था, जिसने चार साल के एक मुस्लिम लड़के के घर वालों के कहने पर उसका खतना किया था।
लड़के के माता-पिता इस ऑपरेशन के कुछ दिन बाद उसे अस्पताल ले गए क्योंकि उसके अंग से रक्तस्राव हो रहा था। वकीलों ने डॉक्टर पर बच्चे के शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
28 जून 2012
कोर्ट का फरमान- खतना से होता है बच्चों को नुकसान
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