चौहान ने बताया कि जब वे 12 साल के थे तब यहां पृथ्वी विलास उद्यान में चुपके से एक आम तोड़ लिया था। आम तोड़ते देख चौकीदार ने उसे पकड़ कर जेब से 25 पैसे का जुर्माना वसूल लिया। तब मन में आया कि वो इससे भी ज्यादा रसीले आम के पेड़ लगाएंगे। करीब 16 बीघा के फार्म हाउस में उन्होंने आम के साथ ही करीब 143 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए लेकिन संतुष्टि नहीं हुई। कृषि विभाग में नौकरी करते वक्त उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठान ली जिससे चर्चा हो। उसी का नतीजा इस पौधे पर उगा ये आम है।
यूं किया नया पौधा तैयार
चौहान ने बताया कि जुलाई में आम की गुठली उगाई थी। छह महीने बाद पौधा तैयार हो गया। इसके बाद उन्होंने एचिंग मैथड से एक रसीले आम की कलम इससे जोड़ी। इसमें मंजरी आने लगी तो पूरी तरह से देखभाल की। इस पर अब एक आम तैयार हुआ है।
मिल चुके हैं अवार्ड
चौहान को तीन दशक पहले बंगाल के मुर्शिदाबाद में आयोजित आल इंडिया फ्रूट शो में द्वितीय पुरस्कार मिल चुका है। इसमें 150 रुपए नकद एवं पुरस्कार मिल चुका है। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के पीछे करीब 16 बीघा के फॉर्म हाउस में करीब 143 प्रकार के पेड़-पौधे लगाए हुए हैं।
भरतसिंह को गिफ्ट किया
बसंतीलाल ने बताया कि मंत्री भरतसिंह उनके साथी रहे हैं। बचपन में उनके आम के शौकीन होने के कारण वो इस पौधे को मंत्री के घर देने आए हैं। इससे उनके बचपन की यादें ताजा रहेगी।
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