वर्षा ऋतु के आते ही प्रकृति अपना स्वरूप बदल लेती है और हरियाली की चुनरी ओढ़ लेती है। वर्षा ऋतु का आरंभ किसानों के लिए भी शुभ संकेत होता है इसलिए इस समय किसान भी खुशियां मनाते हैं व खेती में काम आने वाली वस्तुओं का पूजन करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। किसानों द्वारा मनाया जाने वाला हलहारिणी अमावस का त्योहार इसी का स्वरूप है। इस बार हलहारिणी अमावस 19 जून, बुधवार को है।
आषाढ़ मास की अमावस्या को ही हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। यह त्योहार प्रमुख रूप से ग्रामीण अंचलों में किसानों द्वारा मनाया जाता है। आमतौर पर इस समय तक बारिश शुरु हो जाती है जिसके कारण जमीन नम हो जाती है और यही समय फसल की बोवनी के लिए उपयुक्त होता है। किसान इस दिन अपने हल की पूजा भी करते हैं और कामना करते हैं कि इस वर्ष फसल अच्छी हो, जिससे की घर की सुख-समृद्धि बनी रहे।
वास्तव में यह त्योहार इस बात का संकेत करता है कि किसी भी कार्य के प्रारंभ से पहले हमें ईश्वर का स्मरण अवश्य करना चाहिए तथा जो वस्तुएं हमारी जीविका के लिए उपयोग में आती हैं, उनका भी हम सम्मान करें। हल की पूजा इसी बात का स्वरूप है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 जून 2012
हलहारिणी अमावस 19 को, हल की पूजा करें
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