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21 मई 2012

कैसा भी बुखार हो ये देहाती नुस्खा अचूक है....


कैसा भी बुखार हो चिरायता एक ऐसी देहाती जड़ी-बूटी मानी जाती है जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है। एक प्रकार से यह एक देहाती घरेलू नुस्खा है।पहले चिरायते को घर में सुखा कर बनाया जाता था लेकिन आजकल यह बाजार में कुटकी चिरायते के नाम से भी मिलता है। लेकिन घर पर बना हुआ ताजा और विशुद्ध चिरायता ही अधिक कारगर होता है।

चिरायता बनाने की विधि-

100 ग्राम सूखी तुलसी के पत्ते का चूर्ण, 100 ग्राम नीम की सूखी पत्तियों का चूर्ण, 100 ग्राम सूखे चिरायते का चूर्ण लीजिए। इन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर एक बड़े डिब्बे में भर कर रख लीजिए। यह तैयार चूर्ण मलेरिया या अन्य बुखार होने की स्थिति में दिन में तीन बार दूध से सेवन करें। मात्र दो दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा।

कारगर एंटीबॉयोटिक-

बुखार ना होने की स्थिति में भी यदि इसका एक चम्मच सेवन प्रतिदिन करें तो यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बीमारी चाहे वह स्वाइन फ्लू ही क्यों ना हो, उसे शरीर से दूर रखता है। इसके सेवन से शरीर के सारे कीटाणु मर जाते हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। इसके सेवन से खून साफ होता है तथा धमनियों में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से संचालित होता है।

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