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05 मई 2012

क्लीनिक की आड़ में नहीं चलेंगे नर्सिग होम

सुप्रीमकोर्ट ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि नोएडा में रिहायशी प्लॉट पर क्लीनिक की आड़ में पॉलीक्लीनिक या नर्सिग होम नहीं चलाए जा सकते। डॉक्टर सिर्फ मास्टर प्लान के अनुसार ही अपना क्लीनिक चला सकते हैं

न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार एवं न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने ये आदेश डॉक्टरों की अर्जियों का निपटारा करते हुए सुनाया है। डॉक्टरों ने कोर्ट से रिहायशी भूखंड पर व्यावसायिक गतिविधियां रोकने के आदेश में कुछ और छूट देने की गुहार लगाई थी।

कोर्ट ने 4 मई को अपने आदेश में कहा कि डॉक्टर मास्टर प्लान में पेशेवरों को मिली छूट में सिर्फ क्लीनिक चला सकते हैं। यानि कुल फ्लोर एरिया रेशियो [एफएआर] का 25 फीसद क्लीनिक के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। क्लीनिक में सिर्फ एक बेड होना चाहिए, जिसमें मरीजों का प्राथमिक उपचार हो सके। क्लीनिक में मरीज भर्ती नहीं किए जा सकते। यहां सिर्फ बाहरी मरीजों का इलाज हो सकता है।

पिछली सुनवाई पर नोएडा के वकील रविन्दर कुमार ने डॉक्टरों की अर्जी का विरोध किया था। उनका कहना था कि डॉक्टर क्लीनिक की आड़ में नर्सिग होम चला रहे हैं। मास्टर प्लान इसकी इजाजत नहीं देता। जबकि डॉक्टरों का कहना था कि इलाज के लिए आने वाले मरीज को उपचार देना उनका कर्तव्य है और इसके लिए उन्हें बिस्तर से लेकर सभी जरूरी सुविधाएं और उपकरण रखने होंगे।

बैंकों के मामले में 4 मई को विस्तृत सुनवाई नहीं हुई, लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जिन बैंकों को रिहायशी परिसर से स्थानांतरित होने के लिए भूखंड की जरूरत है और उन्हें अभी तक नोएडा की योजना में भूखंड नहीं मिला है वे 7 दिन के भीतर नोएडा अथॉरिटी के समक्ष अर्जी देनी होगी। जो बैंक अर्जी नहीं देंगे तो समझा जाएगा कि उन्हें भूखंड की जरूरत नहीं है। 10 मई को कोर्ट आदेश सुनाएगा।

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