तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 मई 2012
कोटा अदालत धुम्रपान वर्जित क्षेत्र घोषित नहीं हो पा रहा है ..दर्द तो है लेकिन बढ़े आराम के साथ
कोटा जिला न्यायालय के सभागार में जिला विधिक सहायता समिति की तरफ से जिला जज और दुसरे न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति में जर्दा ..गुटका ..सिगरेट ..और धुम्रपान अधिनियम पर भाषण हुए कुछ वकील भाई भी थे सभी ने भाषण वाचे ..नशे के खिलाफ काम कर रहे भाई डोक्टर साहनी ने भी अपने अनुभव बताये लेकिन दुसरे दिन जब इस खबर को अख़बारों में वकीलों ..पक्षकारों ने पढ़ा तो वोह खूब हंसे ..एक वकील साहब का तो कहना था के अगर कोई सेमिनार ऐसे जनहित के मुद्दे पर थी तो जंगल में मोर नाचा किसने देखा की तरह से चोरी चुपके क्यूँ की गयी ..वकीलों के सभागार में इस सेमीनार को आयोजित किया जाता जहां काम से काम दो पांच सो लोग तो इसमें शामिल होते खेर कोई बात नहीं लेकिन ताज्जुब की कहें या हास्यास्पद भरी बात कहे के न्यायपालिका में बेठे अधिकारी वकील सभी इस मुद्दे पर चिंतित है और अदालत परिसर में धूम्र पान को रोकने के लियें या समझायश और धरपकड़ के लियें कोई कदम नहीं उठाये है ..एक पक्षकार ने कहा के साहब कानून तो अदालत से चलता है और अदालत में धुम्रपान पूरी तरह से वर्जित है चोकी सामने है वकील है ..समाजसेवक हैं ..नेता है न्यायिक अधिअकरी हैं लेकिन यहाँ सिगरेट भी बिक रही है जर्दा गुटका भी बिक रहा है बेचना और खरीदना तो दूसरी बात है लेकिन खुले आम अदालत परिसर में वकीलों की टेबलों पर ही जर्दा गुटका खाकर आने जाने वाले आस पास थूक थूक कर गंगी फेला रहे हैं और सिगरेट पी कर तो हवा में जहर घोल ही रहे ही लेकिन खुले आम इस तरह कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के मुहाफ़िज़ों की मोजुदगी में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है शायद इसे ही कहते है चिराग तले अन्धेरा वरना अदालत परिसर में इस मुद्दे पर सेमिनार तो होती ही और वकील ..पक्षकार ..जज सभी मिलकर अदालत को तो कमसेकम धुम्रपान वर्जित क्षेत्र बनवा ही देते लेकिन बातें है बातों का क्या कानून है किताबों में और किताबों का क्या ......... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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