प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार शनि जयंती का पर्व 20 मई, रविवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शनिदेव के निमित्त व्रत रखता है तथा विधि-विधान से पूजा करता है, शनिदेव उसका कल्याण करते हैं। शनिदेव के निमित्त व्रत करने की विधि इस प्रकार है-
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें। सूर्य आदि नवग्रहों को नमस्कार करते हुए श्रीगणेश भगवान का पंचोपचार(स्नान, वस्त्र, चंदन, फूल, धूप-दीप) पूजन करें। इसके बाद एक लोहे का कलश लें और उसे सरसों या तिल के तेल से भर कर उसमें शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें तथा उस कलश को काले कंबल से ढंक दें।
इस कलश को शनिदेव का रूप मानकर षोड्शोपचार(आह्वान, स्थान, आचमन, स्नान, वस्त्र, चंदन, चावल, फूल, धूप-दीप, यज्ञोपवित, नैवेद्य, आचमन, पान, दक्षिणा, श्रीफल, निराजन) पूजन करें। यदि षोड्शोपचार मंत्र याद न हो तो इस मंत्र का उच्चारण करें-
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवंतु पीतये।
शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:।।
ऊँ शनिश्चराय नम:।।
पूजा में मुख्य रूप से काले गुलाब, नीले गुलाब, नीलकमल, कसार, खिचड़ी (चावल व मूंग की) अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र से क्षमायाचना करें-
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।।
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरूमे देवेशं दीनस्य प्रणतस्य च।।
इसके बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव के प्रतीक कलश को(मूर्ति, तेल व कंबल सहित) किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें। इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर निराहार रहें और यथाशक्ति इस मंत्र का जप करें-
ऊँ शं शनिश्चराय नम:।
शाम को सूर्यास्त से कुछ समय पहले अपना व्रत खोलें। भोजन में तिल व तेल से बने भोज्य पदार्थों का होना आवश्यक है। इसके बाद यदि हनुमानजी के मंदिर जाकर दर्शन करें तो और भी बेहतर रहेगा।
शुभ मुहूर्त
सुबह- 07:30 से 9:00
सुबह- 09:45 से 10:45
दोपहर- 1:30 से 3:00
शाम- 04:45 से 5:45
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 मई 2012
शनि जयंती : इस विधि व शुभ मुहूर्त में करें शनि देव का पूजन
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