आपका-अख्तर खान

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19 मई 2012

हिंदी हैं हम हिन्दिउस्तान हमारा फिर भी हिंदी नहीं है जुबां बनाने का हमारा नारा

दोस्तों आपको भी पता है और हमें भी पता है जबसे देश आज़ाद हुआ है हिंदी को राष्ट्रीय भाषा कर हम चुप बेठ गए हैं ..हिंदी को सिविधान की भाषा बनाया हर साल हिंदी को अपनाने के लियें करोड़ों ही नहीं अरबों रूपये खर्च हम करते हैं ..लेकिन हिंदी है के देश को एस सूत्र में पिरोने की भाषा ही नहीं बन पा रही है ..आप बताइए अगर देश के संविधान में संशोधन कर यह आवश्यक कर दिया जाए के जो व्यक्ति हिंदी लिखना पढना जनता होगा और हिंदी में ही अपना निर्वाचन आवेदन भरेगा उसे ही कोई भी चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाएगा फिर चाहे पार्षद का चुनाव हो ..चाहे पंचायत का चुनाव हो चाहे लोकसभा हो चाहे विधानसभा का चुनाव हो ..लोकसभा और विधानसभा की भाषा हिंदी की जाए और जो लोग हिंदी नहीं जानते है या सीखना नहीं चाहते उन्हें किसी भी छोटे या बढ़े निर्वाचन से वंचित कर दिया जाए अगर ऐसा हुआ तो ही हिंदी इस देश की राष्ट्रिय भाषा बन सकेगी वरना सालों साल हम हिंदी अपनाओ का नारा देंगे और फिर बेथ जायेंगे फिर हमारी पीडिया आएँगी फिर नारा देंगी लेकिन हिंदी नहीं सीखेंगे ..आज आप अपने खुद के बच्चों ..पोतों को ही देख लो अगर उन्स कहोगे के बीस रुए लाना है तो वोह पूछेंगे के यह बीस क्या होते है फिर उन्हें ट्वंटी बताओगे तब उनके समझ में आएगी तो दोस्तों यह हिंदी के प्रति हमारी गद्दारी है अंग्रेजी को पढो लिखो लेकिन हिंदी जो देश की संस्क्रती की बुनियाद है इसे केवल कागज़ी राष्ट्रिय्भाषा ..संवेधानिक भाषा बनाकर जनता को बेवकूफ बनाना छोड़ना चाहिए और देश के किसी भी चुनाव के लियें यह पाबंदी हो जाए के जो हिंदी में लिखेगा बोलेगा वाही चुनाव लद सकेगा लेकिन क्या ऐसा हो सकेगा अमेरिका में जाकर एयरपोर्ट पर जा कर कपड़े उतरवाने वाले हमारे देश के मंत्री ,,प्रधानमन्त्री क्या इस तरफ सोच सकेंगे यह गंभीर बात है वोह तो नहीं सोचेंगे लेकिन हम हमारी जिम्मेदारियों से क्यूँ दूर भागते है क्यूँ आन्दोलन नहीं करते क्यूँ हिंदी जो नहीं जानता जो नहीं बोलता जो नहीं लिखता जो हिंदी नहीं समझता उसे निर्वाचित करते है हम भी तो हिंदी के गद्दार है इसलियें अपने गिरेबान में झांके और हिंदी पढ़े हिंदी पढ़ाएं और हिंदी पढने लिखने वालों को ही देश में नोकरी दे देश के निर्वाचित पदों पर हिंदी के जानकर जो हों उन्हें ही बिठाएं तभी हिंदी देश की राष्ट्रिय भाषा बन सकेगी वरना तो बस यूँ ही कहानियाँ लिखते रहो भाई कुछ नहीं होने वाला ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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