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28 मई 2012

काश अल्पसंख्यक आरक्षण के नाम पर सरकार सियासत नहीं करती और ईमानदारी से अधिसूचना जारी करती

काश अल्पसंख्यक आरक्षण के नाम पर सरकार सियासत नहीं करती और ईमानदारी से अधिसूचना जारी करती और पेरवी करती तो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश आरक्षण को विधि विरुद्ध घोषित नहीं करती ....जी हाँ दोस्तों कई सालों से काका केलकर ..फिर वेंकट चलाय्या .फिर जस्टिस सच्चर फिर जस्टिस रंगनाथ मिश्र सभी ने मुस्लिमों को आरक्षण की पेरवी की गोपालन कमेटी ने तो वर्ष २००७ में ही मुस्लिमों का आरक्षण देने की सिफारिश की लेकिन सरकार ने सभी रिपोर्टों को दबा दिया ,,,,सभी जानते है के देश में जो अनुसूचित जाती जान जाती आरक्षण है वोह आर्थिक आधार पर नहीं धर्म के आधार पर है वर्ष १९५० की जो आरक्षण अधिसूचना है उसमे केवल हिन्दुओं के लियें शब्द लिखे जाने से कपड़ा बुनने वाले अंसारी अलग हो गये लेकिन कोली समाज को आरक्षण मिल गया ..मुस्लिम धोबी अलग हो गये लेकिन हिन्दू धोबियों को आरक्षण मिल गया .....मुस्लिम कसाई अलग हो गए लेकिन खटीकों को आरक्षण मिल गया ऐसी कई जातियां है जो धर्म के नाम पर प्रभावित हुई है और एक धर्म की जातियां कर्मकार मजे कर रहे है और इसी व्यवसाय से जुड़े मुस्लिम लोग पिछड़े और पिछड़े होते जा रहे है यह सिर्फ धर्म आधारित आरक्षण की अधिसूचना से हुआ है जो सर्वविदित है ..लेकिन कोई इस बात को उठाना नहीं चाहता .....अब बात करते है सियासी आरक्षण का उत्तरप्रदेश चुनाव सर पर थे आनन् फानन में आरक्षण की अधिसुचन सभी कानूनों को तक में रख कर जारी की गयी ..लोकसभा में बहुमत था अगर सरकार चाहती तो संविधान में संशोधन कर केवल हिन्दुओं के लियें शब्द हटा कर सभी भारतियों के लियें कर सकती थी ..सरकार चाहती तो संविधान संशोधन कर जो १५ प्रतिशत आरक्षण की बात कही थी वोह संविधान में संशोधन कर दे सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ केवल हवाई आरक्षण दिया और जब मामला आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट पहुंचा तो पेरवी भी ठीक तरह से नहीं हुई पहले तो अधिसूचना की गलती फिर पिछड़ेपन के आधार पर इतने आयोग इतनी समितियों द्वारा १५ प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश करने पर केवल साढ़े चार प्रतिशत आरक्षण देने की कार्यवाही पर भी वोह अपनी कार्यवाही आर्थिक आधार पर जस्टिफाई नहीं कर पाए ऐसी सरकार जिसके विधि मंत्री मुस्लिम हो लेकिन उनकी तरफ से पेरवी करने वाले मुकदमे को खुद कमजोर कर हर जाए और सियासत हो ..अब फिर सियासत होगी मामला सुप्रीमकोर्ट में पहुंचाकर मुस्लिमों अपर अहसान जताया जाएगा राजनीती की जायेगी विरोध और समर्थन का खेल चलेगा और बेचारा पिछड़ा दलित ..पिछड़ा मुसलमान यूँ ही सियासत का शिकार होकर पिस्ता रहेगा .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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