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18 मई 2012

एक अच्छा वकील सिफारिशी बनता है या फिर कानून का जानकार कुछ समझ नहीं आता

आज अदालत में लंच के वक़्त कुछ सीनियर और जूनियर वकील एक साथ चाय की टेबल पर बेठे थे ..सीनियर से एक जूनियर वकील साथी ने सवाल किया के सर एक अच्छा वकील बन्ने के लियें वकील की क्या दिनचर्या होना चाहिए ....इस सवाल के जवाब में सीनियर साहब ने फरमाया के भाई सुबह दफ्तर में जाओ फिर दिन में वक्त पर अदालत में आओ मन लगाकर फाइलें पढो और अदालत में नियमित उपस्थिति दो शाम को दफ्तर में बेठो फाइलों और कानून की किताबें पढो पक्षकारों का भरोसा जीतो अच्छे वकील बन जाओगे ....दुसरे सीनियर साहब ने मुंह बनाया और कहा के नहीं भाई इन चीजों से कोई बढ़ा वकील नहीं बनता केवल आता है और जाता है मक्खियें मरता रहता है सीनियर साहब ने कहा के अभी रास्ज्थान के मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत के लडके वैभव गहलोत जी को ही देख लो वकालत में क्या जानते हैं क्या नहीं यह तो सभी को पता है लेकिन बढ़ी क्रोपोरेट कंपनियों से लाखों रूपये प्रतिमाह कम रहे है ..............उन्होंने कहा के भाई आप खुद ही देख लो जिन्हें वकालत की ऐ बी सी डी का ज्ञान नहीं है वोह तो सरकारी पैरोकार ....निजी बढ़ी कम्पनियों के वकील है लाखों रूपये प्रतिमाह कम रहे है और जो नियमित वकील है वोह क्या कर रहे है सभी जानते है इसलियें भाई बढ़ा वकील बन्ने के लियें बेंकिंग ..फाइनेंस कम्पनियां..सरकारी एजेंसियां पकड़ो और इनके लियें क्या कुछ करना पढ़ता है यह सब जानते है जो एक वकील तो नहीं कर सकता दूसरी बात उन्होंने बताई के अंकल जज हो तो फिर तो मजे ही मज़े है बढ़ी अदालत हो तो गुडविल के नाम पर मुकदमे है छोटी अदालतें हैं तो विधिक सहायता समिति और दूसरी तरह से मदद तो मिल ही जाती है ....बीच में एक छोटे जूनियर वकील ने दखल अंदाजी की और कहा के सर हमें तो वकील बनना है ऐसे सिफारिशी नहीं जो बाद में कानून की बात आने बगलें झांके क्योंकि हमने देखा है के अदालतों में , पक्षकारों में , वकील मित्रों में इज्ज़त तो उसी की है जो पूरा वकील है और पूरा वकील वही है जो खुद कानून जानता है ..कानून पढ़ता है कानून उसकी इबादत होती है और दफ्तर ..अदालत का नियमित वक्त मुक़र्रर होता है फाइलें पढ़े पक्षकरों के लियें ईमानदारी से लादे उन्हें इन्साफ दिलाये और फिर एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों की मर्यादा भी रखे वरना अदालतों के आगे सर झुका कर आने वाले तो बहुत मिल जायेंगे अदालतों को भी कानून बताकर सजग और सतर्क करे क्यूंकि वकील कोई साधारण व्यक्ति नहीं कोर्ट ऑफिसर होता है जो अदालत को जज को कानूनी मशवरा ..कानूनी जानकारी देकर झूंठ में से सच अलग कर न्याय करवाने में मदद करता है ..में सोचने लगा के यह जूनियर वकील है तो छोटा लेकिन छोटा मुंह बढ़ी बात है और सच्ची बात है बस फिर सभी जूनियर उसकी हां में हां मिलाने लागे उनका कहना था के हम कोलेज में जो पढ़कर आते है वोह अदालतों में बहुत कम नज़र आता है एक ने कहा कोलेज में हम पढ़ते है के अदालत जब बयान कराती है तो खुद गवाह के शब्दों को अपने शब्दों में लिखवाती है उसकी भावभंगिमा की टिपण्णी अंकित करती है लेकिन यहाँ तो एक अदालत में इधर बयान ..उधर बयान ..इधर बहस कई काम एक साथ चलते है ..उनका कहना था के हमे पढ़ाया जाता है के अभियुक्त का विधिक सहायता का अधिकार गिरफ्तारी से शुरू हो जाता है लेकिन रिमांड होता है वकील आये या ना आये रिमांड लेकर पुलिसवाले कहते बनते है ..कई मामलों में तो बिना वकालत नामे के जुर्म स्वीकार और मामला खत्म ....जूनियर वकील जी ज्यादा बोलते इसके पहले ही सीनियर जी ने टोक दिया के अभी तो देखे जाओ आगे आगे देखने को मिलता है क्या ......में भी सोचता रहा के क्या इन सभी मुद्दों पर चिंतन की जरूरत है या फिर इन मुद्दों को यूँ ही सब चलता है ..क्या फर्क पढ़ता है कहकर छोड़ दिया जाए .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. अच्छे मुद्दए उठाए गए हैं। इस तरह के मुद्दओं पर नियमित रूप से चर्चा होनी चाहिए।

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