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22 मई 2012

अंगूर है ऐसा रसीला फल.... जिसमें छुपा है इलाज इन बड़ी बीमारियों का

कहते हैं कि जब लगभग सभी खाने की चीजें अपथ्य हो जाएं, अर्थात खाने को मना हों तो भी अंगूर का सेवन किया जा सकता है। यानि रोगी के लिए बलवर्धक पथ्य फल है यह अंगूर। स्वाद के अनुसार काले अंगूर(जिसे सुखाकर मुनक्का बनाया जाता है ) ,बैंगनी अंगूर ,लम्बे अंगूर ,छोटे अंगूर और बीज रहित अंगूर होते हैं जिन्हें सुखाकर किशमिश बनायी जाती है। अब इसके गुणों के बारे में चर्चा करें तो पके अंगूर शीतल ,नेत्रों के लिए हितकारी ,कसैले,वीर्यवर्धक,पौष्टिक एवं रुचि बढ़ाने वालेहोते हैं। जबकि कच्चे अंगूर गुणों में हीन ,भारी एवं कफ व पित्त को कम करने वाले होते हैं।गोल मुनक्का, वीर्यवर्धक,भारी गुणों से युक्त। जबकि किशमिश ,शीतल ,रुचिकारक और मुख के कड़वेपन को दूर करने वाली होती है। अंगूर के ताजेफल खून को बढाने एवं पतला करने वाले और छाती से सम्बंधित रोगों में भी लाभकारी होते हैं।अब हम कुछ ऐसे नुस्खे बताते हैं। जिनमें अंगूर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ...


-यदि सिर में दर्द हो रहा हो तो 8-10 नग मुनक्का ,10 ग्राम मिश्री और इतनी ही मात्रा में मुलेठी एवं थोड़ी मात्रा में शुद्ध जल रात भर खुले आसमान के नीचे छोड़ दें और सुबह मिलाकर पीस लें। नाक में दो बूँद टपका दें। सिरदर्द में लाभ मिलेगा। नाक से खून आना (नकसीर) में भी ऊपर लिखा फार्मूला अत्यंत लाभकारी है।

-यदि पांच से दस ग्राम मुनक्का नियमित रूप से खाई जाए तो मुख की दुर्गन्ध में लाभ मिलता है।

-आठ से दस नग मुनक्का और हरीतकी का काढ़ा लगभग 20 मिली की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर खाने से दमा रोग में भी लाभ मिलता है।

-घी ,मुनक्का,खजूर ,पिप्पली एवं कालीमिर्च इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर एक चटनी सी बनाकर नित्य सेवन करने से सुखी खांसी और क्षयरोग में लाभ मिलता है।

-आइए अब आपको हम एक एंटासिड बनाना बताते हैं : मुनक्का एवं हरड़ बराबर मात्रा में लेकर उतनी ही मात्रा में शक्कर मिला लें। अब सबको पीसकर 1-1- ग्राम की गोली बना लें। हो गयी एंटासिड गोली तैयार। अब एक गोली सुबह-शाम ठन्डे पानी से लें और हायपरएसिडीटी की समस्या से निजात पाएं।

-अगर आप कब्ज से हैं, परेशान तो मुनक्का 6 से सात नग ,भुना जीरा 5 से 10 ग्राम और सैंधा नमक 1.5 ग्राम(उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए मात्रा चिकित्सक अनुसार ) इन सबका चूर्ण बनाकर गुनगुने पानी से लें ..देखें आपको इस समस्या से निजात मिल जाएगी।

-खूनी बवासीर के रोगी अंगूर के गुच्छों को एक बर्तन (मिट्टी का हो ) में बंद कर राख बना लें ,अब मिलनेवाली भस्म को तीन से पांच ग्राम की मात्रा में मिश्री एवं घी के साथ लेने से खून आना बंद हो जाता है।

- यदि पेशाब खुल कर नहीं आ रहा हो तो आठ से दस मुनक्का एवं लगभग दस ग्राम मिश्री को पीसकर दही के पानी से लेने पर यह एक अच्छा डाययूरेटिक का काम करता है। -दस ग्राम मुनक्का ,पाषाणभेद ,पुनर्नवा की जड़ तथा अमलतास की गुदी पांच ग्राम की मात्रा में मोटा-मोटा कुटकर आधा लीटर पानी में खुले बर्तन में उबालकर आठ भाग बचने पर छान कर बना काढा पीने से पेशाब से सम्बंधित तकलीफों में फायदा पहुंचाता है।

- मुनक्का 10 नग ,छुहारा 3 नग तथा मखाना तीन नग शारीरिक रूप से कमजोर रोगी नियमित 250 मिली दूध से सेवन करें और लाभ देखें। -अंगूर और अड़ूसे (वासा ) का काढा बीस से तीस मिली की मात्रा में पिलाने पर पेटदर्द दूर होता है।

-सोते समय पांच से दस ग्राम किशमिश के साथ गुनगुना दूध पीएं, इससे प्रात:काल आपका पेट साफ रहेगा।

-गले की परेशानी में अंगूर के रस से गरारे कराना भी फायदेमंद होता है।

-अंगूर के शरबत का नित्य सेवन गर्मी में लू के कारण होनेवाली परेशानियों को दूर करता है। तो है न कमाल का अंगूर। एक रसीला फल लेकिन गुणों की खान बस इसका औषधीय प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श से करें तो बेहतर है।

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