आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 मई 2012

मुस्लिम शिक्षा पर जोर देने वाले लोग पढ़े लिखे मुसलमानों के रोज़गार पर जोर क्यूँ नहीं देते

दोस्तों जयपुर में हाल ही में दो दिन के मुस्लिम शिक्षा सम्मलेन में राजस्थान की ही नहीं देश भर की बढ़ी हस्तियाँ शामिल हुई सभी ने मुसलमानों को पढाई में पिछड़ा बताया ..और सभी की एक ही आवाज़ थी के मुसलमान के बच्चे पढ़ते नहीं है ..उनका कहना था के मुसलमान को पढाने से कभी भी साम्प्रदायिक ताकतें नहीं रोकती है पढाई पर दो दिन का चिंतन रहा ..शिक्षण संस्थाएं खोलने की बातें हुईं .......शिक्षण संस्थाओं को अल्पसंख्यक शिक्षा का दर्जा देने पर बहस हुई लेकिन मुफ्त में बच्चों को पढाने ...गरीब बच्चों के लियें ऐसे शिक्षाविदों द्वारा उन्हें मुफ्त में पढाने ..गोद लेने आर्थिक तंगी के कारण मुस्लिम बच्चों की शिक्षा ब्रेक नहीं होने और इसके बहतर प्रबंधन पर किसी ने चर्चा नहीं की ...ताज्जुब इस पर भी रहा के आज हर घर में ग्रेजुएट ..डोक्टर..इंजिनियर ..एम ऐ है लेकिन किसी ने भी पढ़े लिखे बच्चे जो बेरोजगार के शिकार है उन्हें नोकरी देने उन्हें रोज़गार देने पर चर्चा नहीं की ..जब एक तबका पढ़े लिखे मुस्लिम नोजवानों को ग़ुरबत में बेरोज़गारी की हालत में देखता है तो अफ़सोस ही होता है के हमारे बच्चों को क्यूँ पढाया ..सम्मलेन में काई लोगों की आवाज़ थी के अगर शिक्षा के नाम पर सियासत नहीं ..शिस्खा के नाम पर व्यवसाय नहीं ..मुसलमी बच्चों से ठगी नहीं तो रोज़गार पर भी बात होना चाहिए लोगों का कहना था के जो लोग पढ़े लिखे बेरोजगार भटक रहे है अगर उन्हें यह नेता लोग रोज़गार दिलवा देंगे तो यह लोग पेट पालन के साथ साथ खुद ही अपने बच्चों को पढ़ा लेंगे लेकिन यह कोम की बातें करने वाले ..यह मजहब की बातें करने वाले ..यह हवाई जहाज़ों में सफ़र करने वाले ..यह एयर कन्दिषणों में बैठकर गरीब मुसलमानों की शीशा पर चर्चा करने वाले दावे के साथ नहीं कह सकते के कितने मुस्लिम गरीब बच्चों और बच्चियों की इन लोगों ने इजीनियरिंग और डॉक्टरी की फीस माफ़ की और कितने बच्चों को पढाने के लियें वजीफे दिए सभी का मकसद मुस्लिम शिक्षण संस्था में रजिस्ट्रेशन करा कर पचास फीसदी बच्चों से सीटों का व्यापार करना था अगर यह शिस्क्षण संस्थाएं मुस्लिम बच्चों को पढाना चाहती है तो फिर शिस्क्षा की गारंटी कानून की पालना में बच्चों को प्रवेश क्यूँ नहीं देते क्यूँ इस नियम से दूर भाग रहे है इस नियम से खुद को अलग करना चाहते है तो दोस्तों दिल में कुछ और दिमाग में कुछ इन नेताओं के रहता है क्योंकि यह चाहते है के घर सिर्फ हमारे ही भरे और हमारे नीचे के लोगों से हम व्यापार शिक्षा व्यापार करें ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...