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07 मई 2012

देश में कोई भी मुस्लिम सांसद ..विधायक ...आयोगों का अध्यक्ष अगर ऐसा मिले जिसने मुसलमानों की समस्याओं पर सरकार से तकरार की हो तो बताना जरुर

लोग कहते है के हमारे देश में मुसलमानों की तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है लेकिन में कहता हूँ के य्हना कोई राजनीती नहीं चल रही बलके मुसलमानों के साथ राजनीति की जा रही है वोह भी इस बढ़े पैमाने पर जिससे मुसलमान दिन बा दिन बर्बादी..नफरत और फिरकों में बंट कर बर्बाद होने के कगार पर है ...कहते है के मुसलमान नेता कुल्हाड़ी की वोह लकड़ी है जो अकेली रहे तो कोई कीमत नहीं कुल्हाड़ी भी खाली रहे तो कोई ताकत नहीं लेकिन इसी कुल्हाड़ी में अगर लकड़ी लगा दी जाये तो फिर बस यह कुल्हाड़ी पेड़ों पर यानी खुद अपनी ही ज़ात की लकड़ियों पर काल बनकर टूट पढती है ...कल एक टी वी प्रोग्राम के तहत अधूरे ख़्वाब कार्यक्रम आ रहा था राजस्थान के विधायक अमरा राम भी उसमे शामिल थे बाक़ी सरकारी मुसलमान तो थे ही सही ....अमरा राम ने अपने लगातार विधानसभा कार्यकाल में जो कुछ नजदीक से देखा उसे कल इस कार्यक्रम में उगल दिया और काफी हद तक सही और सटीक भी था उनका कहना था के राजस्थान विधानसभा ही नहीं पुरे देश में एक भी ऐसा मुसलमान किसी भी पार्टी में नेता बता दो जिसने संसद में या फिर विधानसभाओं में मुसलमानों के हक की कोई बात उठाई हो ...अमराराम की बात सीधे मुसलमानों के दिल पर लगी है क्योंकि उन्होंने ऐसा कडवा सच कहा है जिसे हमारे मुसलमान लीडरों जो चाहे भाजपा में हो चाहे कोंग्रेस में हो चाहे किसी भी दल या दल दल में हो कोमरेड हो लीगी हों किसी ने भी संसद में या फिर विधानसभा में मुसलमानों के फायदे वाली या फिर उनके साथ हुए अत्याचार में उन्हें इंसाफ दिलाने वाली बात नहीं उठाई है ..मेने भी नज़र दोडाई मुझे जो दिखा वोह सरकारी मुसलमान दिखा जब भी मुसलमानों की आवाज़ उठाई या तो किसी सेक्युलर हिन्दू भाई ने उठाई या फिर गेर्स्रकारी मुसलमान यानि आज़ाद मुसलमान ने उठाई ..लेकिन अगर कोई आज़ाद मुसलमान बनकर सरकार के खिलाफ सरकार की नीतियों के खिलाफ मुसलमानों को उनका हक दिलाने के मामले में बोलता है तो वोह या तो किसी न किसी मामले में प्रतिबंधित सन्गठन का बता कर धर लिया जाता है या फिर मुकदमों में फंसा दिया जाता है और नहीं तो लालच देकर उसे खरीद कर उसके गले में पट्टा ऐसा डाला जाता है के जिसका पट्टा होता है उसी के इशारे पर उसे भोंकना पढता है ..काटना पढ़ता है ..यह तस्वीर किसी एक राज्य की नहीं पुरे देश की है सरकारों ने कागजों में मुसलमानों को हक दिए है सहूलियतें दी है लेकिन सरकारी मुसलमान तो भांड बनकर सरकार की तारीफ़ करते फिरते है और जो लोग सरकार से झूंठे आंकड़ों का हिसाब मांगते है मुसलमानों के लियें दी गयी राशी के लेप्स होने का कारण पूछते है थानों में अधिकतम मुकदमे मुसलमानों के खिलाफ दर्ज होने का कारण पूंछते है तो उनेह घर बिठा दिया जाता है ....मुझे तो याद नहीं है लेकिन आप खुद ही बताइए के जब सच्चर की रिपोर्ट कई साल पहले आ गयी ..जब रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट कई बरस पहले आ गयी जब मुसलमानों को आरक्षण देने की रिपोर्ट २००७ में आ गयी थी तो अब तक किसी भी कोंग्रेस ..भाजपा या फिर दूसरी पार्टी के किसी भी मुस्लिम सांसद ने लोकसभा या राज्यसभा में इस बात को क्यूँ नहीं उठाई वहां पहले कभी आग उगलने वाले मोलाना ओबेदुल्ला आज़मी भी है तो भाजपा के प्रवक्ता शाहनवाज़ ..नकवी भी है कोंग्रेस के अहमद पटेल भी है तो रशीद अल्वी भी है दूसरी पार्टियों के तो ना जाने कितने लोग है लेकिन इन सभी सरकारी मुसलमानों की आवाज़ गले में अटक जाती है इन्हें तो बस जब मुसलमान सरकार से नाराज़ होता है तो डेमेज कंट्रोल के लियें इस्तेमाल किया जाता है राजस्थान में एक गोपालगढ़ हुआ ना जाने कितने मोलाना कितने नेताओं के भाग खुल गए और आज वोह मंत्री दर्जा लेकर बेठे है .....आप देखिये देश में अल्पसंख्यक आयोग है ..राजस्थान में अल्पसंख्यक आयोग है और इन आयोगों को संवेधानिक अधिकार है लेकिन आज तक किसी भी आयोग ने किसी कलेक्टर ..किसी एस पी ..किसी मंत्री या अधिकारी को सम्मान भेजकर आयोग में पेश होने के लियें मजबूर नहीं किया है जबकि चारों तरफ चाहे वक्फ की मुसीबत हो ..चाहे अल्पसंख्यक मामलात की समस्या हो चाहे ..शिक्षा की समस्या हो ..चाहे साम्प्रदायिक दंगों की समस्या हो किसी भी मुद्दे पर राजस्थान और देश के अल्पसंख्यक आयोग ने आवाज़ नहीं उठाई है राजस्थान में पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की समितिया अब तक नहीं बनाई गयी है ....हज कमेटी नहीं बनाई गयी है ..आयोग और मदरसा बोर्ड के सदस्य नियुक्त नहीं किये है ..पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की स्थिति यह है के कोटा के इंचार्ज राज्यसभा सदस्य अश्क अली टाक को बनाया गया है लेकिन दो वर्षों में उन्होंने कोटा आकर झांक कर भी नहीं देखा है ...कुल मिला कर एक कडवा सच यह है के देश के मुसलमानों का कोई नेता ऐसा नहीं है जो निष्पक्ष और निर्भीक होकर मुसलमानों की आवाज़ उठा सके .......अगर किसी ने आवाज़ भी उठाई तो वोह सेक्युलर हिन्दू भाई ही मिलेगा यहाँ तो मुस्लिम नेता तो खुद मुसलमानों की समस्याओं पर राजनीति कर पदलोलुपता की राजनीति में लागे है हमारे देश में हमारे राजस्थान में हमारे शहर में में सेकड़ों ऐसे लोगों को जानता हूँ जो क्या हुक्म है मेरे आका वाले मुसलमान नेता है ..और आप भी ऐसे सेकड़ों सांसदों और विधायकों के अलावा आयोगों के मुस्लिम अध्यक्षों को जानते होंगे जिनके लिए मुस्लिम समस्या कोई समस्या नहीं बस क्या हुक्म है मेरे आका के सिद्धांत पर ही वोह चलते है ऐसे में तो भाई मुसलमानों का जब करोड़ों ही नहीं अरबों रूपये का बजट वापस बिना इस्तेमाल के लोटाया जाता है या फिर रंगनाथ मिश्र .सच्चर ..वेकत्चेलाय्या...काका केलकर ..गोपालन की रिपोर्टों को जब कचरे में डाला जाता है तब यही कहा जाता है के कुछ बात है के हस्ती मिटटी नहीं हमारी वरना बरसों से दुश्मन रहा है दोरे जहाँ हमारा ..और एक ही बत मुह से निकलती है के मुसलामनों का तो अल्लाह ही मालिक है ..क्योंकि कागजों में तो मुसलमानों के लिये काफी लुभावनी मीठी घोषणाएं है लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं देती है...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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