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31 मई 2012

पूरे देश में फैला है इस माफिया का आतंक, रेल यात्री हैं इनका निशाना

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मुंबई. रेल ट्रैवलर्स सर्विसेस एजेंट (आरटीएसए) वेलफेयर एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि तत्काल टिकट और ई-टिकट की सुविधा से पूरे देश में टिकट माफियाओं का जाल फैल गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीनानाथ मल्होत्रा ने अनधिकृत एजेंटों के गिरोह की जांच कर, उन पर अंकुश लगाने की मांग की है।

मल्होत्रा मुंबई में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनधिकृत एजेंटों के काले कारोबार का खामियाजा रेलवे के अधिकृत एजेंट भुगत रहे हैं। मल्होत्रा के मुताबिक पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में ई-टिकट की सुविधा प्रदान की गई थी।

इंटरनेट के जरिए टिकट निकालने की व्यक्ति विशेष के लिए बेहतर सुविधा है। लेकिन अब टिकट बुकिंग का काला कारोबार बन गई है। रेलवे की एक गलती से पूरे देश में टिकट माफियाओं का जाल फैल गया है। आज गली-नुक्कड़ पर ई-टिकट के एजेंट देखे जा रहे हैं।

आरटीएसए के 700 अधिकृत एजेंट पर आईआरसीटीएस के तहत पूरे देश में 2 लाख 50 हजार एजेंट बनाए गए हैं। उन्हें 5-5 हजार रुपए लेकर टिकट बुकिंग का एजेंट बनाया गया है। पिछले कुछ वषरें से देखा जा रहा है कि टिकट खिड़की खुलते ही 10 मिनट के अंदर सारे टिकट बुक हो जाते हैं।

जबकि घंटों कतार में लगे लोगों को टिकट नहीं मिल पाता। ई-टिकट के एजेंट एक ऐसे साफ्टवेयर का उपयोग करते हैं, जिससे इंटेरनेट पर कई फार्म लोड कर दिए जाते हैं। टिकट खिड़की खुलते ही उनके टिकट बुक हो जाते हैं। जिसे वे महंगी कीमत पर बेचते हैं।

उन्होंने बताया कि अन्य राज्यों से तत्काल टिकट बुक कर महानगर में हवाईजहाज से भेजे जाते हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर अनधिकृत दलालों की गैंग खुलेआम देखी जा सकती है। टिकटों की काली कमाई अनिधकृत एजेंट करते हैं। लेकिन बदनाम मान्यता प्राप्त एजेंटो को किया जाता है।

मल्होत्रा ने तत्काल टिकट बुकिंग की पद्धति पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि तत्काल टिकट की सुविधा यात्रियों को आपातकालीन समय को ध्यान में रखते हुए दी गई है। लेकिन रेल गाड़ियों की 30 से 40 प्रतिशत सीटें तत्काल टिकट के लिए आरक्षित रखी जाती हैं।

इससे रेलवे को बड़े पैमाने पर मुनाफा होता है। एसोसिएशन के महासचिव लाढाराम नागवानी ने बताया कि 1983 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रेलवे ने आरटीएसए को अधिकृत एजेंट का लाइसेंस दिया था। अधिकृत एजेंटों के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों को पहचान पत्र भी जारी किए गए हैं।

रेलवे स्टेशनों पर अधिकृत एजेटों के लिए अलग खिड़की होती है। यदि अन्य खिड़की से टिकट लेते अधिकृत एजेंट पाए गए तो उनका लाइसेंस रद्द हो सकता है। उन्होंने बताया कि अपनी निर्धारित खिड़की पर अधिकृत एजेंट कतार में टिकट लेते हैं।

आरटीएसए एजेटों को लाइसेंस इस आधार पर दिए गए थे कि कामकाज में व्यस्त लोगों को आसानी से टिकट उपलब्ध हो सके। आरटीएसए एजेंट रेलवे द्वारा निर्धारित अल्प कीमत वसूलतें हैं। लेकिन अनधिकृत एजेंटों ने टिकट बुकिंग को काली कमाई का जरिया बना लिया है

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