महावीर स्कूल सभागार में आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री के नहीं आने पर उनके प्रतिनिधि के तौर पर नागर ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने करीब आधे घंटे के अपने भाषण में सरकार और मुख्यमंत्री की उपलब्धियों का गुणगान किया। उन्होंने कहा कि वे आपकी मांगों के मामले में मुख्यमंत्री से बात करेंगे। इधर नागर ने जैसे ही अपना भाषण खत्म किया, उत्तर प्रदेश के बंजारा समाज के प्रदेश अध्यक्ष सतीश चंद्र नायक तेजी से मंच पर चढ़े और बोले-गोली मत दो नागर साहब, सरकार ने बंजारों को गोल घुमा दिया है।
मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि और मंत्री के नाते आपसे बंजारा समाज को जवाब चाहिए, चिकनी चुपड़ी बातें नहीं। हमें आश्वस्त करके जाइए। इधर आयोजकों ने सतीश चंद्र को शांत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नागर से एक के बाद एक कई सवाल कर दिए। सकपकाए नागर ने पलटकर कहा कि वे तत्काल कुछ कमिटमेंट करने की स्थिति में नहीं हैं।
हालात बिगड़ते देख आयोजन समिति के कुछ लोगों ने जैसे-तैसे नागर को मंच से उतारा। सतीश चंद्र का गुस्सा यही नहीं थमा और वे भी पीछे हो लिए। अंतत: नागर के जाने के बाद ही मामला शांत हो पाया। नागर के बाद भाजपा राज में समाज कल्याण मंत्री रहे मदन दिलावर ने भाषण शुरू किया।
आदिवासियों का दर्जा नहीं दे सकते तो सुविधाएं तो दिलाओ
आंध्रप्रदेश के पूर्व मंत्री अमरसिंह तिलावत ने कहा कि 1981 से एसटी में शामिल करने संबंधी मांग केंद्र के पास पड़ी है, लेकिन कुछ नहीं हो रहा। सम्मेलन संयोजक सेठाराम बंजारा ने बताया कि उनके समाज का बड़ा तबका भूमिहीन है और डेरों में जीवन यापन करता है। इनके लिए आवास की स्थायी व्यवस्था होनी चाहिए। राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनने चाहिए। गरीब तबके को ऊपर उठाने के लिए विशेष पैकेज और अलग से आरक्षण होना चाहिए। अहमदाबाद से आए केजी बंजारा ने कहा कि देशभर में फैले बंजारों को एकजुट होने की जरूरत है।
दिलावर को फंसाने छोड़ दिया तीर
नागर ने भाषण के दौरान मदन दिलावर की ओर इशारा करते हुए कहा कि 10 साल तक समाज कल्याण विभाग का दायित्व आपके पास रहा है। अब बंजारा भाइयों के मामले में आपको ही जवाब देना है और इसका समापन करना है। इस पर लोगों के सामने पेचीदा स्थिति बन गई और फुसफुसाहट शुरू हो गई कि सरकार कुछ देना चाहती है या मामले को टालना चाहती है।
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