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16 अप्रैल 2012

विधायक ने मंत्री को दी सरेआम गालियां, मारने को दौड़े!


जयपुर.विधानसभा में सोमवार को एक शर्मनाक अध्याय जुड़ गया। भाजपा के निलंबित विधायक हनुमान बेनीवाल ने सदन में सरेआम चिकित्सा राज्यमंत्री राजकुमार शर्मा को गालियां दीं। राजकुमार शर्मा अपनी सीट से उठकर बेनीवाल की तरफ बढ़े। उधर से बेनीवाल भी आगे बढ़े, लेकिन विधायकों ने दोनों को पकड़ लिया। वाकया अनुदान मांगों पर बहस के दौरान हुआ।

इस घटना पर भाजपा ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर कार्रवाई करने की मांग की। ऐसा नहीं होने पर भाजपा ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। आसन की ओर से इस पूरी घटना और गाली-गलौज को कार्यवाही से निकाल दिया गया।

सदन में हुई शर्मनाक घटना पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई। भाजपा विधायक दल के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर सभी दलों के प्रमुख विधायकों को बुलाकर इस घटना पर कार्रवाई करने को कहा। इस पर सभापति सुरेंद्र जाड़ावत ने कहा कि सदन ऑर्डर में आ गया है। जो भी घटना हुई है, जो अपशब्द बोले गए हैं, उन्हें सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है। यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, इस पर जो भी कार्रवाई करनी होगी सब देखकर बाद में उचित और निष्पक्ष कार्रवाई होगी। इसी बीच उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा आसन पर आ गए। विपक्ष ने फिर सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग दोहराई।

भाजपा की ओर से सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग के बाद सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा ने कहा कि जो भी घटना हुई है वह दुर्भाग्यपूर्ण है,। इस घटना और बाद में जो ये सारी बातें हुई हैं उसे सदन की कार्यवाही से निकालना चाहिए। इसके बाद उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा सदन में आ गए।

भाजपा के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने पूरी घटना का वृतांत सुनाते हुए उपाध्यक्ष से सदन की कार्यवाही स्थगित करने को कहा। तिवाड़ी ने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। अगर आपने हमारे प्रस्ताव पर विचार नहीं किया तो यह सदन की गरिमा के खिलाफ होगा और हम सदन की गरिमा गिराना नहीं चाहते, इसलिए हमें मजबूरन बहिष्कार करना होगा। उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की।

इस तरह हुई शुरूआत

बेनीवाल ने कहा- नेता प्रतिपक्ष की डांट को भी आशीर्वाद मानते हैं चिकित्सा मंत्री
विवाद की शुरुआत अनुदान मांगों पर बहस के दौरान बेनीवाल के बोलने से हुई। बेनीवाल ने कहा कि चिकित्सा मंत्री अपने विभाग का सवाल लग जाता है तो दावत देकर येन केन प्रकारेण उसे रुकवाने का जतन करते हैं। चिकित्सा मंत्री तो नेता प्रतिपक्ष की डांट को भी आशीर्वाद मानते हैं। इस पर राजकुमार शर्मा ने आपत्ति की। बेनीवाल ने झिड़क दिया। बेनीवाल करीब दो मिनट गालियां देते रहे।

बाद में कहा- मैंने अपशब्द नहीं कहे

मैंने अपशब्द नहीं कहा। राजकुमार शर्मा ने ही गलत बोलने की शुरुआत की थी। मैं तो चिकित्सा विभाग की अनुदान मांगों पर बोल रहा था। तभी मंत्री अपनी सीट से उठकर मुझ पर हमला करने के लिए बढ़ने लगे।यह तो रूपा राम डूडी और गोविंद सिंह डोटासरा ने रोक लिया, नहीं तो मुझ पर हमला कर देते। मंत्री राजेंद्र पारीक उकसा रहे थे।

हनुमान बेनीवाल, विधायक खींवसर (नागौर)

मैं यहां गाली सुनने नहीं आया हूं, मेरे सचेतक ही उस सदस्य को बचा रहे हैं : शर्मा

चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा ने कहा कि मैं आज शर्मिदगी महसूस कर रहा हूं कि मैं इस सदन का सदस्य हूं। मैं मां की गाली सुनने सदन में नहीं आया हूं। अगर मुझे पहले पता होता कि सदन में इस तरह होता है और इस तरह के लोग यहां बैठते हैं तो मैं कभी भी राजनीति को अपना कॅरिअर नहीं चुनता। मुझे दुख है कि मेरे सचेतक ही इस घटना में उस सदस्य का बचाव कर रहे हैं।

प्रस्ताव आया तो कार्रवाई करेंगे : उपाध्यक्ष

जो हुआ वो दुखद है। पक्ष एवं विपक्ष के लोगों में सबकी राय लेकर परंपराओं के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। अभी तक कार्रवाई के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया है।

-रामनारायण मीणा, उपाध्यक्ष, विधानसभा.

टिप्पणी: हे! शिशुपाल..

भरी विधानसभा में एक सदस्य, मंत्री को गालियां दे रहा है और हम सुन रहे हैं। क्यों? वोट डालने वाले निपट निरीह लोग सवाल कर रहे हैं कि हमारे मत का ऐसा अपमान क्यों? बोलने और सुनने से पहले कान फटे क्यों नहीं? कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? जब कृष्ण ने शिशुपाल को नहीं बख्शा, हम क्यों चुप बैठे हैं?

आखिर इसी समाज ने महिलाओं को भी चुनकर सदन में भेजा है। उनका क्या कुसूर है? क्या वे गालियां सुनने सदन में आई हैं? जवाब कौन देगा? आखिर हर जवाब के लिए प्रश्नों-प्रस्तावों की विवशता क्यों होती है? पवित्र सदन और गरिमामयी आसंदी इस मामले पर जो भी निर्णय करे, सभी को स्वीकार्य होगा, लेकिन इतना तय है कि शिशुपालों की माफी हमें सच के कृष्ण से दूर कर देगी।

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