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25 अप्रैल 2012

ऑफिस में होता है उत्पीड़न, आखिर हम कहां लगाएं गुहार'


भोपाल। गोविंदपुरा स्थित केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड (भोपाल) में पदस्थ रीनू गुलाटी ने रीजनल डायरेक्टर आरएस माथुर व यूडीसी चंद्रशेखर पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए महिला आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद उसने 14 अप्रैल को महिला थाने में गुहार लगाई। पुलिस द्वारा मामला दर्ज न करने पर उसने थाने में धरना देने की धमकी दी, तब कही जाकर उनकी एफआईआर लिखी गई। यह तो महज एक बानगी भर है।

राजधानी में इन दिनों कार्यस्थल पर प्रताड़ना के मामलों में भारी इजाफा हुआ है। इसका अंदाजा पिछले दिनों भोपाल दौरे पर आईं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा के पास पहुंची शिकायतों से लगाया जा सकता है। आयोग अध्यक्ष के पास कार्यस्थल पर प्रताड़ना से पीड़ित करीब डेढ़ सौ महिलाओं ने अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। वहीं, वर्ष 2011 में राज्य महिला आयोग में महिला उत्पीड़न के 650 मामले दर्ज हुए हैं।

महिला उत्पीड़न के मामलों में जनसुनवाई करने वाली संस्था ‘प्रियदर्शिनी एक विचार’ की अध्यक्ष दीप्ति सिंह का कहना है कि महिलाओं के हक में कई कानून हैं, लेकिन वे प्रभावी कम व किताबी ज्यादा साबित हो रहे हैं। वे कहती हैं, जिन सरकारी अफसरों पर कानून के सम्मान की जवाबदारी है, उन्हीं के दफ्तरों में महिला प्रताड़ना के मामलों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। ज्यादातर शिकायतें यौन प्रताड़ना से संबंधित हैं।

ऐसे प्रकरण आते हैं आयोग में: आयोग में सबसे ज्यादा प्रताड़ना संबंधित प्रकरण आते हैं। इसके अलावा अफसरों द्वारा समय पर भुगतान न करने, स्कूल-कॉलेजों से बिना नोटिस नौकरी से निकाल देने, मानसिक प्रताड़ना, कर्मचारियों द्वारा अपशब्दों का प्रयोग और अश्लील हरकत करने जैसी शिकायतें भी शामिल हैं।

अधिकारियों से ये महिलाएं हैं पीड़ित

भोपाल निवासी कुमारी दीप पंत्रस ने वर्ष 2010 में महिला आयोग में शिकायत की थी कि सीहोर जनपद पंचायत के सीईओ अजीत तिवारी उसके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। हालात यह है कि दफ्तर में उनके बैठने के स्थान से कुर्सी-टेबल तक हटा दिए गए। इस मामले की जांच में आयोग ने शिकायत को सही पाया। आयोग ने शासन से सीईओ को तत्काल प्रभाव से हटाने की सिफारिश की, लेकिन दो साल बाद भी इस पर कार्रवाई नहीं हुई।

ऐसे ही एमपीईबी में कार्यरत काबेरी मोंडल ने अपने अधिकारी आरसी सिंह पर प्रताड़ना का आरोप लगाकर आयोग में शिकायत की है। वहीं, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में पदस्थ रीता जैन ने अपने अधिकारी एचके शर्मा के खिलाफ उत्पीड़न का आरोप लगाया। जबकि गीता राधाकृष्णन ने आदिवासी वित्त विकास निगम के कुछ कर्मचारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।

क्या है विशाखा गाइडलाइन

कामकाजी महिलाओं को प्रताड़ना से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त 1992 को विशाखा गाइडलाइन के संबंध में निर्देश जारी किए थे। इसके तहत जबरन शारीरिक संबंध बनाना या अश्लील हरकतें करना, महिलाओं के सामने द्विअर्थी संवाद, अश्लील साहित्य दिखाना, कोई भी अन्य अशोभनीय कामुकतापूर्ण स्वरूप का शारीरिक, शाब्दिक या सांकेतिक आचरण करना आदि संविधान के मौलिक अधिकार, समानता, जीविकोपार्जन और जीने के अधिकार का हनन है। इसके अंतर्गत सभी सरकारी और प्राइवेट उपक्रमों में यौन प्रताड़ना समिति का गठन होना चाहिए, जिसमें समिति की अध्यक्ष महिला हो।

क्या कहते हैं आंकड़े

वर्ष----कार्यस्थल प्रताड़ना के प्रकरण

2006 - 251

2007 - 440

2008 - 338

2009 - 430

2010 - 560

2011 - 650

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