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10 अप्रैल 2012

मेरे एक बढ़े भाई हिंदी ब्लोगिंग के किंग जनाब दिनेश राय जी द्विवेदी जी ने इस पर बहतरीन टिपण्णी कर मुझे झकझोर दिया

दोस्तों कल मेने मेरी शरीके हयात के साथ हुए हादसे में हाथ के फ्रेक्चर मामले में दुःख की घड़ियाँ गिन गिन कर गुज़ारने का हवाला देते हुए एक दुआ करने को कहा था...... के दुआ करो खुदा किसी को कभी को इस दुःख तकलीफ ना दे ......मेरे एक बढ़े भाई हिंदी ब्लोगिंग के किंग जनाब दिनेश राय जी द्विवेदी जी ने इस पर बहतरीन टिपण्णी कर मुझे झकझोर दिया .....मेरे बढे भाई कहने को तो पंडित है लेकिन विचारधारा से कम्युनिस्ट है ..भगवान की पाठ पूजा पूरी तरह से करते है लेकिन विचारधारा कम्युनिस्ट की ही आगे बढाते हैं उनके लेखन ..उनकी शेली में कम्युनिज्म है ........शास्त्रों में धर्मो में चाहे लिखा हो के खुदा ..अल्लाह ..इश्वर की मर्जी के बगेर कोई पत्ता भी नहीं हिला सकता लेकिन कम्युनिज्म है के इश्वर कभी बुरा नहीं करता बुराई तो शेतान में होती है .और इसीलियें मेने जब अपने ब्लॉग पर कल खुदा खेर करे वाली दुआ के साथ पोस्ट लिखी तो उस पर सुबह टिपण्णी थी के हाँ साहब दुःख दर्द पहुँचने के काम तो खुदा ही करता है शेतान कुछ नहीं करता ...में सोचने लगा बात तो सही है ..खुदा ..इश्वर भगवान तो लोगों के हित संवर्धन के लियें है शेतान राक्षस रावण हैं जो लोगों को नुकसान पहुंचा रहे है लेकिन राम ने रावण का वध कर दिया .....पांडवों ने कोरवों का और कृषण ने कंस का वध कर दिया ..इब्राहीमअलेह अस्सलाम ने फिरोन को खत्म किया ......सभी पैगम्बरों ने बुराई का अंत कर दिया जीसस हो या कोई भी हो सभी ने बुराइयों का अंत किया है फिर यह बुराइयां क्यूँ है ......यह दुःख तकलीफ क्यूँ है .....भाई दिनेश जी द्विवेदी की इस कम्युनिज्म सोच ने मुझे और मेरे अंतर्मन को झकझोर दिया और मेरा अब तक का ज्ञान जो मेने चारों वेद .रामायण ..महाभारत ...गीता ..बाइबिल ..पवित्र कुरान ..हदीसें .....सुन्नतें ...इला... इज्मा.... कियाज़ ...बाइबिल ..तोरेत ..अंजिल..गुरुवाणी .....भारतीय संविधान ..... और ना जाने कोन कोन से ग्रन्थ पढ़ कर प्राप्त कर खुद को ज्ञानी समझने का घमंड किया था वोह चूर चूर हो गया में सोचने लगा हम अपनी सोच चाहे कुछ भी बना लें लेकिन ..यथार्थ तो यथार्थ है और यह भी सच है के खुदा इश्वर कभी किसी का बुरा नहीं करता वोह तो शेतान है जो हमे बहका कर बुराइयां करवाता है खुदा तो शेतान के बहकावे में आकर हमे गुनाह करने की सजा देता है हमे अलार्म करता है ..फिर एक हदीस है के खुदा किसको किन हालातों में क्या दे देता है इसकी बहतरी वही जानता है ..कहते है के एक शराबी नशेडी मस्जिद के पास से लड खडाता हुआ चल रहा था के उस के पाँव से कुछ टकराया उसने नीचे देख कर जब उस चीज़ को उठाया तो वोह कीमती हीरा था ..इसी बीच एक नमाज़ी नमाज़ पढ़ कर मस्जिद से बाहर निकला उसका पैर पत्थर से टकराया और अंगूठे का नाख़ून बाहर निकल गया उसके पैर के अंगूठे में खून था और वोह पीड़ा से चिल्ला रहा था सवाल उठा के यह खुदा का केसा नीआम है जो नमाज़ी है उसके तो पैर में चोट पहुंचा डी और जो शराबी है उसकी ठोकरों में हीरे डाल दिए ...लेकिन उसी वक्त एक सूफी ने इस रहस्य का खुलासा क्या ..कहा गया के जो शराबी है उसके नसीब में खुदा ने आज बादशाहत लिखी थी लेकिन उसकी शराबी वाली हरकत से नाराज़ होकर खुदा ने उसे बादशाहत नहीं दी और केवल यह छोटा सा हिरा दे दिया ....दुसरे जो नमाज़ी नमाज़ पढ़ कर निकले थे उनके लियें खुदा ने आज म़ोत लिखी थी लेकिन उनकी नेकी को देख कर खुदा ने उन्हें म़ोत के स्थान पर केवल यह मामूली सी चोट दे दी है .इसलियें कहते है दोस्तों खुदा लोगों के दिलों के भेद को जानता है ..खुदा जो करता है वोह बहतर करता है ....इसलियें सब्र करो शुक्र करो और नमाज़ ..कायम करो या जो भी सभी अपने अपने तरीके से खुदा को याद करो ............ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. भाई,
    मुझे न पता था कि मेरी टिप्पणी आप के मानस में इतना हलचल मचा देगी।
    वैसे भी आप ने खुदा के स्थान पर अल्लाह शब्द का प्रयोग किया होता तो संभवतः मेरी टिप्पणी कुछ और होती। आप ने अल्लाह के लिए खुदा विशेषण का प्रयोग किया। जिस का अर्थ होता है जिसे किसी ने निर्मित नहीं किया और जिस का अस्तित्व खुद ब खुद है। हम जो नास्तिक लोग हैं वे कहते हैं कि जब अंत में यह मानना ही है कि कोई है जो खुद ब खुद है तो यह क्यों न मान लिया जाए कि यह गोचर और बोधगम्य प्रकृति ही खुद ब खुद अर्थात खुदा है।
    आप हमारी उक्त मान्यता की रोशनी में मेंरी टिप्पणी पर गौर करें तो पाएंगे कि यह प्रकृति जिस के हम एक अभिन्न हिस्सा हैं। हमें कैसे दुःख दे सकती है? क्या कोई अपने किसी अंग को कष्ट देता है? यदि हम कभी उपवास आदि के माध्यम से अपने अंगों को कष्ट देते भी हैं तो उन्हीं की बेहतरी के लिए। यह वैसा ही है जैसे सेहत को अच्छा बनाने के उद्देश्य से हम नित्य दौ़ड़ लगाना आरंभ करें तो दूसरे ही दिन सारी पेशियाँ अकड़ जाती हैं और दर्द होने लगता है लेकिन तीसरे चौथे दिन दर्द गायब हो जाता है लेकिन पेशियाँ अधिक समर्थ हो कर सामने आती हैं।
    भाभी जान को फ्रेक्चर अवश्य हुआ है लेकिन इस हादसे ने उन्हें और आप को अवश्य ही पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत किया होगा। मेरी कामना है कि वे शीघ्र स्वस्थ हों और आप के जीवन की खुशियाँ जल्दी लौटें।

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  2. पैदाइश से लेकर मौत तक इंसान कुछ न कुछ सीखता ही रहता है।
    हरेक हादसा कुछ न कुछ सिखाता है।
    जीवन सीखने का ही नाम है।
    अच्छा है कि आपने इस मौक़े का सही इस्तेमाल कर लिया।
    मुबारक हो।

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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