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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 24 अप्रैल, मंगलवार को है। इसे सौभाग्य दिवस भी कहते हैं। इसका कारण है कि पूरे वर्ष में कोई भी तिथि क्षय हो सकती है लेकिन यह तिथि अर्थात वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया कभी भी क्षय नहीं होती। इसी कारण इस दिन किए गए हवन, दान, जप या साधना का फल अक्षय(संपूर्ण) होता है।
यह सौभाग्य दिवस है, इस कारण स्त्रियां अपने परिवार की समृद्धि के लिए विशेष व्रत आदि इस दिन करती हैं और पूर्वजों का आशीर्वाद एवं पुण्यात्माओं से परिवार वृद्धि की कामना करती हैं। अक्षय तृतीया लक्ष्मी सिद्धि दिवस है, इस कारण इस दिन लक्ष्मी संबंधित साधनाएं विशेष रूप से की जाती हैं। हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किया जाता है लेकिन अक्षय तृतीया ऐसा पर्व है जो सभी मांगलिक कार्यों के लिए सर्वाधिक श्रेष्ठ सिद्ध माना गया है।
शाक्त प्रमोद में लिखा है कि जो साधक अक्षय तृतीया के महत्व को जानते हुए भी पूजा साधना नहीं करता वह दुर्भाग्यशाली है। बृहद् रस सिद्धांत महाग्रंथ में अक्षय तृतीया के संबंध में लिखा है कि यह दिवस जीवन रस की अक्षय खान है, उसमें से जितना प्राप्त कर सको, उतना ही यह रस बढ़ता जाता है। इस दिन किसी भी प्रकार की साधना प्रारंभ की जा सकती है। उपयुक्त वर-वधु की प्राप्ति के लिए और विवाह बाधा दोष निवारण के लिए भी अक्षय तृतीया श्रेष्ठ दिवस है। यही कारण है अक्षय तृतीया को सौभाग्य दिवस भी कहते हैं।
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