तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे?
गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
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10 अप्रैल 2012
"अंतर्मन की आहट की टकराहट को,
"अंतर्मन की आहट की टकराहट को, आकार दे दिया तुमने यों कविता कह कर. अपनी ही आवाजें जब टकराती हैं अपने अन्दर जो शोर उठा उसको उसको दिल से लग कर यह लोग कहा करते हैं वह तो ज़िंदा है." ----राजीव चतुर्वेदी
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)
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